SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 114
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 102 तुलसी शब्द-कोश उबारा : (१) उबार । 'नहिं निसिचर कुल केर उबारा ।' मा० ५.३६.२ (२) भू००० । बचाया । 'तुम्ह हटकहु जौं चहहु उबारा ।' मा० १.२७४.४ उबीठे : वि.पु. (सं० उद्विष्ट>प्रा० उविट्ठ)। बार-बार सेवन से जिस पर __विरक्त हो गयी हो। 'यह जानत हौं हृदय आपने सपने न अघाइ उबीठे।' विन० १३६.२ उबेने : वि००ब० । बिना पन ही पहने हुए । 'तो लौं उबेने पाय फिरत ।' कवि० ७.१२५ उमय : दोनों ने, से, में । 'धरम सनेह उभय मति घेरी। मा० २.५५.३ उभय : संख्या (सं.)। दो, युगल । मा० १.६.१ उभे : उभय । कवि १.१ उभौ : संख्या (सं०) । दो, दोनों । 'भिरे उभौ बाली अति तर्जा ।' मा० ४.८.२ /उमॅग उमॅगइ : (सं० उन्मङ्गते-उद्+मगिगतो>प्रा० उम्मंगइ- उमड़कर ___ बहना, उफनना, उमड़ना) आ०प्रए । उमड़ता है । 'भूपति पुन्य पयोधि उमॅग।' गी. १.६.४ उमगि : पूकृ० । उमड़कर । गी० १.१.११ उमंग : सं०स्त्री० (सं० उन्मङ्गा>प्रा० उम्मंग)। उल्लास, उत्तरङ्ग गति । कवि० २.१५ उमग : (१) सं० स्त्री० (सं० उन्मार्ग) । मार्ग लांघकर बहना, उमड़ना तट लांघ कर गमन, उच्छलन । 'सो सुभ उमग सुखद सब काहू ।' मा० १.४१.५ (२) उमगह । उमड़ता है। तन मन बचन उमग अनुरागा।' मा० २३१७.५ Vउमग उमइ : (सं० उन्मार्गति >प्रा० उम्मगइ-मार्ग लांघकर बहना, उमड़ना) आ०प्रए । उमड़ता है। 'महि उमग जनु अनुराग ।' गी० ७.१८.३ उमगत : व.पु । उमड़ता, उफनता । 'जहँ तहँ जनु उमगत अनुरागा।' मा० १.८६.८ उमगति : वकृ स्त्री० । उफनत्ती। 'अंगनि उमगति सुदरताई।' गी० १.५५.२ उमहिं : आ०प्रब० । उफनते हैं । 'उछाह उमगहिं दस दिसा ।' पा० मं० १५ छं० उमगा : भक० पु । उमड़ा, उफना । 'उर उमगा अनुरागु ।' मा० २.२५५ उमगि : पूकृ० । उफन कर, उन्मार्ग होकर। 'नदी उमगि अबुधि कहुं धाई ।' मा० १.८५२ उमगी : भू०० स्त्री० । उफन चली । मा० १.३५६ उमगे : भू००पु बहु । उमड़ चले, उफने । 'उमगे भरत बिलोचन बारी।' मा० २.२३८.१
SR No.020839
Book TitleTulsi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBacchulal Avasthi
PublisherBooks and Books
Publication Year1991
Total Pages564
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy