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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४. और विवाईकोदूरकरैऔरमसूडेचौरदाँतोंकोमजा वूतकरताहे औरपसीना निकलनेकोगुण्करै बीरगों ठोंकोषोलताहै शोरजोडोंकोमजबूतकर औरपाको पवलकरे और जिन नातेलपुरानाहोताजाताहैउतना हीवलवानजादाहोताजाताहै।सथसफरजली। अर्थातफारसीमेंभावी औरवहमोदिलसरदी औरगर मीओरतरहैदूसरेदरजाजनावकाकोलहै के वीह। केषानेसे दिलकोयलपातहोताहै ओरकलेजाकोम जवूतकरताहै औरसंतानसपूत पेदाहोती है औरतर थामस्तककोऔरउदरकोअथवा जिंगरकोवलपा नकरतीहै ओरपेसावकोजारीकरतीहै सोरमस्त ककोगरमीनहीचड़ने देती है और प्रवेतपनेको दुध रकर ओरपितकीनलटीकोवंदकरै-ौरगरमी । कोशांत करैहै।सथसनाया।नतमसनायमकी होतीहैदूसरेदरजा मेंगरम भीरखुश्कहैहजरतका कोलहे के मौत केसिवायसवरोगजातेरहतेहेंसना यपान करनेसेकफकोन्नौरवायकोदस्तकेद्वारानि कालदेतीहै औरवहुधाकरकेपित्तकोभीनिकाल तीहै और शरीर के भीतरघाप्नहोकेमुवादको निकाल लाती है धोरमस्तकको पाककरतीहै सौरजोडों। कीगाँठोकोगुणादायकहै औरपेटके कीडाकोभार तीहऔररुधिरको मिलकरतीहै औरपेसाब। लगाती है औरगोंठोंकीघोलती है औरवडेवडे पिहों कीनिरचलताहोतीहै।सथशाईराभर्थात | गोजईफारसीमेजोहिंदी में दूसरेदरजार्मेसर्द और For Private and Personal Use Only
SR No.020831
Book TitleTibba Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
PublisherKanhaiyalal Munshi
Publication Year1882
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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