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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४५ - - - - - - - -- कोनिकालताहेमोरयाके फूलपातयावीजपथ वाजड कोपीसवाकेपानीकोपीनातथावाकोवफारी लेना लीधर्मकोजारीकरैहेमोरगर्भकोगिराव औरमरेवञ्चाकोगर्भसेनिकालै ओरवाको लेपसूजा नकोदूरकरैगोरवाकोतेलगुलावके फूलोंकीतेलके|| समानवनायाजानाई सोरयहवातसवजानते हैं के याके फूल में छोटाकीडाहोलाहै पास से घने सेनाक मेंधसजाताहै और पीनसकारोगपेदा करता है। थदेकार्थातफारसी मेंभुर्गौरहिंदी में मुर्गादूसरे दस्जामंगरमोरनरहैजनावका कोल है केजवमुर्गा वोलताहै सोयह कहना है के ईश्वरकोयाद करोषडेही घडेमान्सकोफाडे के गरमागरम मस्तकपरवाँधेतोसर सामजायजोगरमशोरवापीवैतोवायमूलजायोर पोटेकेभीतरकाछिलकाकाईमुनासिववस्तुकेसंगचू रनकरकेचायतोसवपकारकासतीसारजाय औरजो| मुर्गाकेसंडाकेछिलकाकोजलाकेवाकोसुर्मानेत्रों मेंलगावैतोनेत्रों का विकारजायनीरजोवाको चूरनक रकेघायतोपुरानीसूजाकजायाप्रथरमानमर्या तफारसीमेंननारमीठागरमीऔरसरदी मेंबरावर हो। रदुसरेदरजामेतरह।ओरषा-अनारदूसरेदरजामेंसर दौरतरहै औरषटमीठामनारपहलेदस्जासर्द और दूसरे तरहैजनावनवीजीकाकोलहै केवैकुंठोरच नार-ओर अंगरशहरीवडपन सेनत्पन्नहुये हेंजोर नारजिगरसोरसांसकोवलप्राप्तकर है औरअच्छा मलपैदा करेगोरहोलदिलकोगुणकरै-औरपेसाव - --- - - - For Private and Personal Use Only
SR No.020831
Book TitleTibba Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
PublisherKanhaiyalal Munshi
Publication Year1882
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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