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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४१ - - - - - - -- ॥अथवतीरखामात्रखरबूजातरगरम हैजा नावकाकोल केनिरनेहीखरबूजापानाजोपेट को साफ करताहे कसरपिन कोपचा वैहै नही तोनद रमें प्राप्नभेसहारकोनिकालडालता है।याकीला गगरमपात वालातोसिकंजवीनथानींवकारसा धवाघासनार॥ोरसरदपक्रतधालेको सर-और खरबूजाकोविशेषभानाशरीरकोमोटा करता है और रचीसंगकोपवलकरताहै-मोरपेसावलाताहै। और गुरदासोरमसानाऔर सोत को निर्मलकरनेवाला है और फेफडेकी नलीकीसरवतीदूरकरना हैजोछि। लकामोरवीजों सहित पीस के चहरापरलगावैतो। चहराकीक्रांति को वहाताहै।सथवकरसर्या तफारसी मेंतोमादहगावऔर हिंदी में गाय सोगाय कादूधवापकेरोगों कोदूर करैहै-मोरगरमहै। थतिम॥सर्यात फारसी मेंरखुर्मा हिंदीछुहाराओ रधिजरपहलेगरमदूसरेभेनर जनावकाकोलहैके जाघर मेंछहारीनही वह घरविनाअन्न केनल्पहैव हइस्त्रीसंगको वलवान करैहे सौरगुरदह कोताकत देताहै-स्रोररुधिरकोवहावैौरनिरमलकरैऔर सीकेरवरदराट कोऔरतरवताकोगुणकरे मोरजोर डोंकेकडेपन को दूर करैतीनफारमी में संजीरप:// हलेदरजामेंगरमौर दूसरे मेंलरहै-मोरपकजाने में वाकोरंगभुपेदहोजावैवहनन्नम है पीलीवासेकम औरलालवासेभीकममोरमैयुनादिक मेंबलवडाने वालासोरशरीरको मोटा करनेवालाओरतवीयतको - For Private and Personal Use Only
SR No.020831
Book TitleTibba Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
PublisherKanhaiyalal Munshi
Publication Year1882
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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