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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - । दिरमादागामादिकेलिवाहै ओरनगलेसमयको अवकेहकीमोंकीतोलमेंभीफरक हैवल्कहरजगह केतोले नादिकतोलपथकर होती है तवमिलेहएन सरवाकीपकृतीपरकशंकरभरोसा करैंयाहीकारणा सेनस्कासरजातारहताहै इसलीयेपहलीनोलको ठीकौरवरावरकरके इसपुस्तक में मोरेवारनीचे लियाहैकिामासासाठरतीकाऔरतोलावारहमासे | काओररतलचालीसतोलेकामोरसेरास्तीतोले। का औरमनचालीससेरकाहोताहै।गुणपघटहोय केवहुधासपुस्तकमेंगलेसमयके हकीमों के नुस खाभीलिगरहेंजोकिसीदूसरी पुस्तकके सनमुषा प्रथकपाईजायतोनस्कायह प्रयोजन है कैप्रथमतो करावादीनोंके नुसरवानाकोपट्टाकरकेननकीकि यानोकोदेतोउनकी मरोर और मतपतहोनेकेषा तापकरकेविशेषक्रियाऔरपथकतापाईगई उनमें सेथोडीसीकियाजोसुद्धसमझमें भाईओरजिनकी प्रतभीयुद्धलिषीथीदूसरेजहांपथक वचनदृष्टीमें। नायेतोजन मेंसेंएककेवचनकोसमझोरसोचक रतथासजमाकरकचूलकीयागतीसरेपहलेतोला कोसमझकरननसवतोलों कोजिनकापरवरनन करायेथेवदलदीयेहें।।चोधेजोवहदवाप्राप्तनहो। तथाथोडीपाननोअथवावहतघघटनहोतथापार मनोहो पहचाने मेंननावेनस्कैवदलेलियाहेनथा। किसीदूसरी वस्तुकीइतनीतीलकरदीगईकनस्कीय) कुछ दरकारनहातगुणा-भीरजानकारनुसरवाजिन - % - - - - - - - - - - - For Private and Personal Use Only
SR No.020831
Book TitleTibba Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
PublisherKanhaiyalal Munshi
Publication Year1882
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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