SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 246
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २२७ - -ve - - - चफला चिरायती। बकायन के पेड कोवकला विजयसार गुलफरंगा बकुची। सपेदचंदना नरमधेरकीयंतरछाला कंजाकीनंतरहाला पिन्नपापडीयितीसाइन्द्रायन कीजड दोरमाशे नोटा के पीवेगमतरवाजोधातशकन्यथा तपदंश को दूर करनामें गुणदायकोरपरचा ईहई है।विधिानीमकीछालाकचनाला कीछाला इन्द्रायन कीछालामंडी। छोटीकटे रीजडोरलकडी।पुरानोंगुडघ्राधपावसेरया नीमेंनोटा वैजव-चौथाईवाकीरहे तवलान के। ९शीशी मेंभरकेरावैऔर जितनाधकतीमैं कि लेउतनापीया करे। फसल एकसोजन्नीसवी॥ मुों में मुर्बा साँठकाजी गरम औरषश्क है ओरजदर और पेडूचओरनरों की घुश्की को दूरक रे और मूनको वहाव और बल को बहावे और कफ ज्वरको गण करै॥विधि विना तांतू की सोठरवासनमें धरके वालसेर्वदकरैनोरनस पर पानीडालेयाही प्रकार इक्कीस दिनराधे फिर निकालकेरवूनोवैऔर किसीनोंकीली वस्तुसे खूब शीद के शहत पानी में घोटाजक्चाशनी। होजाय और चाशनी में सोंडूवीरहै।।मुरबानी वूका॥जो दिल औरजदरकोचलप्राप्त करें और रचित्तको सन्न रावे॥विधिानीवूकेछिलका। कोयोटावैजवाधीसीजजाय तव निचोडक|| - - - - maana - For Private and Personal Use Only
SR No.020831
Book TitleTibba Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
PublisherKanhaiyalal Munshi
Publication Year1882
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy