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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir w -en -mewwere- - - - - - - - भूमिका यह वात प्रत्यक्षा है कि (तनदुरुस्ती हज़ार नियामत अर्थात् निरोग्यता ही जीवन मूल्य है सोरदेहकी रक्षा सब पर उचित है-उस्के उपाय वैद्यक विद्या में बिस्तार पूर्वक लिखे हैं-परंतु आजकल के समय में तीन प्रकार की वैद्यक विद्या पचलित हैं-वैद्यक-२यूनानीउडाकरी- वहुधा हमारे स्वदेशीभाइयों की रुचिजो केवल हिन्दीभाया जानते हैं यूनानीगतिपरवैद्यक सीखने की रुचि अत्यंत पाईजाती है-इसी कारण से बहुत सी| तिब्ब की कितावों का उल्या हिन्दीभाया में हो कर छापा गया-परंतु आज तक ऐसी पुस्तक का उल्था देखने में | नहीं माया जिम्में मिली हुई सोधियों के बनाने की पूरी पूरी किया लिखाहो-और उस्केसाथ ही जिनजिन रोगों को लाभदायक हो गति पूर्वक वर्णन हो- जोकि उर्दू भाषा में कणवादीन अहसानी जिस्को मीर अहसा न अलीने बहुत प्रामसे बनाया था और उस्से हजारों मनुयों को फायदा पहुंचा और उसमें मिगत मौधि यों की तरतीय बहुत अच्छी है-इसीकाणसे लाला प्यामलाल ने वहुतसा हव्य व्यय करके हिन्दी भाषामें उल्था कराकर छपवाया-यह सर्व-वैद्य-हकीम-अ तार-अमीर--रईस- राजा-महाराजा- ज़मीदारइत्यादि अथीत गर्गदौलत मन्द सब को फायदेमन्द|| है- मांगे जो हिन्दी पढे हुऐ भत्तार तथा पंसारीजिन कोबहधामित्रत प्रोयधियों के वेचने की इक्षाहो उन्को - - - e - - - - - ner For Private and Personal Use Only
SR No.020831
Book TitleTibba Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
PublisherKanhaiyalal Munshi
Publication Year1882
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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