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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १४५ - - - - - - - अाधरपावागुलमुडीसेरखालकेश्चर्काफि रवाही-नर्ककोदुधाराधेचे॥रावजीनिर्वलमनु ध्यकोवलनरुपतकाघाप्तकर और इन्द्री कोवलवा। नकर और स्थमन मेंपनील्येतुनहीरपतीविil धिगुडमनशमुनक्काकालीसेर१०वंबूरकीछा लसेर२०१मामलेसेरदोका लहनउठावैऔरपाय || २सेराचालडाघडीलाभिंगराधसा भिजोकोतज| तिजपाताइएकपेचालालफूलके कीजवापान की। जडा विल्लीलोटनावडीइलायचीतालभयानाची जचंदामाहीवेराधायके फूलासुगंधवाला।इन्द्रजी। नरकचूरा नागरमोथा।माई।दोंनों चंदनादोंनोंभूसा। ली।उटगनके वीजाअसगंधासितावरायाधरपाव मिलाके नर्कबेंचे।सालवभिश्री अगर लोंगा|| यफलाजावित्री गाजरकेवीजासलगमकेचीजाप्या जकेवीजाकोंचकीभीगीादोंनों वहननादोनोंतोदरी शकाकुलमिश्रीनागकेसरादोरतीलाचोवचीनी! धिजोरेकाछिलका पावरसेरवामिलावैौर३॥ दिनपीछदोसेरसुपेदकंदागायकोदूधसेर मिला केदुवानशाधेचे। फसल उनसठवी शम्मो में अर्थात नसवार के जिस्केसूधनेसेरोगा रहोयशम्माजीसरदी की मस्तकपीडाकोपण करै हैविधिनायफलालीमावरावरलेके चूरम नकरके घेशम्माजोगरमीकीमस्तकपीडा। कोगुणदायकहै।विधिकपूरराछोटीइलायची - - - - anisarnew - For Private and Personal Use Only
SR No.020831
Book TitleTibba Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
PublisherKanhaiyalal Munshi
Publication Year1882
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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