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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - - - - लीलोटन के कार्ड मेकि होमिलावाखभीरहव नफशाशमेरेछोटेभाईहकीमसमान अलौका। वनायाहुनाहै के छातीचारपहलू के दर्द को और फेफडे के दर्द को गुणकरै धौर पिन के दोश कानि काले हैाविधिागुलवनका गुलाब के फूला गावजुवाके फूलतीनतीनतोले डेढपावकंद कूट केश्राधसेरगलाक्जलडालकेरवूवभीडकेपाका विजोगाडाहोजाय। फसल उनतीसवी) तमापूके रखमीरों के नुसरकों के प्रकर्णमें अगली स्तोमतमाधूकी तारीफयानकार से लिखी है केया त्रा के दिनों में सिकंदरवादशकिलशकर में हवामी रवादीविशेषपेदाइईनोरलशकरीबहुत से भरनेल गे बहुत सेहकीमचिकितसिकाऔरइस रोग के दूर करनेदैरपेड और खुकरान ने नधूमो का जंगलदी। बकेधनीतमा)ीदेने कीतजवीनकरी मोबाकी धूया से फोन कीहवा और वायदूरहोगईफेरधूंनी को हवाकीलागसमझकै वाकी रिवाजोर रसम | जारी होगई फिरहरमुल्क में नस्के धूधाचनेकीधि धिपथकरतर सेठेरीनोरनानाप्रकारके दुषपेदा हुयेया कारणकरके अजीरनको दूर करना और पेय कीवाय पचानेवालीचौरमोह औरंगले कीतरीनि ||कालनेवालीोरमस्तककीनरीको भाने वालीह थाकारण थोडेसैनषेलिये आते हैं विभीर हपानडीपदोसेरगुडकी चाशनीकरकापसेर | - MARArmer For Private and Personal Use Only
SR No.020831
Book TitleTibba Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
PublisherKanhaiyalal Munshi
Publication Year1882
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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