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तत्त्वार्थसूत्रे तथाचोक्तम्- "कइविहेणं भंते-१ इंदिय उवचए पण्णत्ते–३ गोयमा ! पंचविहे इंदिय उवचए पण्णत्ते । तं जहा-सोइंदियउवाचए, चक्खिदियउवचए, घाणिदियउवचए, जिभिदिय उवचए, फासिंदियउवचएय कइविहाणं भंते-१ इंदियणिवत्तणा पण्णत्ता-३ गोयमा-१ पंचविहा इंदियणिबत्तणा पण्णत्ता, तं जहा-सोइंदियणिवत्तणा, चक्खिदियणिवत्तणा, चक्खिदियणिचत्तणा, घाणिंदियणिवत्तणा, जिभिदियणिव्वत्तणा, फासिंदियणिवत्तणाय ।
कतिविधः खलु भदन्त - ! इन्द्रियोपचयः प्रज्ञप्त:-? गौतम--! पञ्चविध इन्द्रियोपचयः प्रज्ञप्तः तद्यथा-श्रोत्रेन्द्रियोपचयः १ चक्षुरिन्द्रियोपचयः-२ घ्राणेन्द्रियोपचयः-३ जिह्वेन्द्रियोपचयः ४ स्पर्शनेन्द्रियोपचयश्च-५ । कतिविधा खलु भदन्त-! इन्द्रियनिवर्त्तना प्रज्ञप्ता- ? गौतम- !। पञ्चविधा खलु इन्द्रियनिवर्तना प्रज्ञप्ता, ।
तद्यथा-श्रोत्रेन्द्रियनिर्वर्तना १ चक्षुरिन्द्रियनिर्वर्तना २ घ्राणेन्द्रियनिर्वर्तना ३ जिह्वेन्द्रियनिर्वर्तना ४ स्पर्शनेन्द्रियनिर्वर्तना ५ चेति प्रज्ञापनायां २ द्वितीयोद्देशके १५ सूत्रे ।
"ततश्चोक्तम्"..-कासिदिएणं भंते- ! किंसंठिएपण्णत्ते-? गोयमा-! नाणासंठाणसंठिए जिब्मिदिएणभंते-! किंसंठिएपण्णत्ते-? गोयमा-! खुरप्पसंठिए, पाणिदिएणभंते-! किंसंठिएपण्णत्ते-? गोयमा-! अतिमुत्तयचंदकसंठिए । चक्खुरिदिएणंभंते-! किंसंठिएपण्णत्ते-१ गोयमा ! मसूरयचंदसंठिएपण्णत्ते सोइंदिएणभंते-! किंसंठिएपण्णत्ते-2 गोयमा-! कलंबुयापुप्फसंठिएपण्णत्ते -इति । कार और मध्य में कुछ विनत घ्राणेन्द्रिय होती है । बीच में किंचित् ऊँची उठी हुई गोलाकार मसूर (दाल) नामक धान्य के समान चक्षु इन्द्रिय है। श्रोत्रेन्द्रिय का आकार कदम्ब के पुष्प जैसा है। प्रज्ञापनासूत्र के इन्द्रियपद में कहा भी है
प्रश्न-भगवन् ! इन्द्रिय-उपचय कितने प्रकार का है ?
उत्तर-गौतम ! इन्द्रिय-उपचय पाँच प्रकार का है। वह इस प्रकार है-श्रोत्रेन्द्रियउपचय, चक्षु-इन्द्रिय-उपचय, घ्राणेन्द्रिय-उपचय, जिह्वेन्द्रिय-उपचय, स्पर्शनेन्द्रिय-उपचय ।
प्रश्न-भगवन् ! इन्द्रियनिवर्त्तना कितने प्रकार की है ?
उत्तर-गौतम ! पाँच प्रकार की इन्द्रियनिर्वर्तना कही है, यथा-श्रोत्रहन्द्रिनियर्वर्तना, चक्षुरिन्द्रिय निर्वर्तना, घ्राणेन्द्रियनितना, जिहवेन्द्रियनिवर्त्तना और स्पर्शेन्द्रियनिर्वर्तना ।
प्रश्न-भगवन् ! स्पर्शेन्द्रिय किस आकार की कही गई है ? उसर-गौतम ! नाना आकार की कही गई है। प्रश्न-भगवन् ! जिवेन्द्रिय किस आकार की कही है ? उत्तर गौतम ! छुरे के आकार की कही है।
- जरा