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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छह द्रव्य : सात तत्त्व : नव पदार्थ पुद्गल सो बंधो सुमो धूलो संठाणभेदतमछाया । उज्जोदादावसहिया पुग्गलदव्वस्स पज्जाया ॥ ११ ॥ १६ धर्म गइपरिणयाण धम्मो पुग्गलजीवाण गमणसहकारी | तोयं जह मच्छाणं अच्छंता व सो ई ॥ १२ ॥ १७ अधर्म ठाणजुदाण अधम्म पुग्गलजीवाण ठाणसहयारी | छाया जह पहियाणं गच्छंता णेत्र सो धरई ॥ १३ ॥ १८ आकाश अवगादाण जोगं जीवादणिं वियाण आयासं । जेणं लोगागास अल्लोगागासमिदि दुविहं ॥ १४ ॥ १९ धमाधम्मा कालो पुग्गलजीवा य संति जावदिये । आयासे सो लोगो तत्तो परदो अलोगुत्तो ॥ १५ ॥ २० ३७ काल परिवो जो सो कालो हवेइ वबहारो | परिणामादिलक्खो वहणलक्खो य परमट्ठो ॥ १६ ॥ २१ लोयायासपदे से इक्केक्के जे डिया हु इक्केक्का | रयणाणं रासीमिव ते काला असंखदव्वाणि ॥ १७ ॥ २२ संति जदो तेणे अत्यीति भणति जिणवरा जम्हा । काया इव बहुदेसा तम्हा काया य अत्थिकाया य ।। १८ ।। २४ होंति असंखा जीवे धमाधम् अनंत आयासे । मुत्ते तिहि पदेसा कालस्सेगो ण तेण सो काओं ॥ १९ ॥ २५ पदेस व अणू णाणाखंपदेसदो होदि । For Private And Personal Use Only बहुसो उवयारा तेण य काओ भांति सव्वण्हू ॥ २० ॥ २६ आसव-बंधण- संवर- णिज्जर- मोक्खा जे । सपुण्ण-पावा
SR No.020812
Book TitleTattva Samucchaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherBharat Jain Mahamandal
Publication Year1952
Total Pages210
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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