SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 123
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Achar छह द्रव्य : सात तत्त्व : नौ पदार्थ जिन्होंने जीव और अजीव द्रव्यका निरूपण किया है तथा जिनकी देवों और इन्द्रों के समूह वन्दना करते हैं उन जिनेन्द्र भगवान्को मस्तक नवाकर नित्य वन्दना करता हूं ॥ १ ॥ जीव जीव दर्शन और ज्ञानरूप उपयोगमय है, अमूर्तिक है, कर्मोंका कर्ता है, स्वदेह परिमाण है, कर्मों के फल का भोक्ता है, जन्म-मरणरूप संसारमें स्थित है, और सिद्ध होनेपर स्वभावतः ऊर्ध्वगामी है ॥ २ ॥ जिनके भूत, वर्तमान और भविष्य इन तीनों कालोंमें स्पर्शनादि पाँच इंद्रिय मन, वचन और कायरूप बल, भवधारणकी शक्तिरूप आयु और श्वासोच्छ्वासरूप आनप्राण, ये चार प्रकारके प्राण होते हैं वह व्यवहारनयकी अपेक्षासे जीव कहलाता है । किन्तु निश्चयनयकी अपेक्षा तो जिसके चेतना है वही जीव है ॥३॥ उपयोग दो प्रकारका होता है-दर्शन और ज्ञान । दर्शनके चार भेद आनना चाहिये-चक्षुदर्शन, अचक्षुदर्शन, अवधिदर्शन और केवलदर्शन ॥ ४ ॥ ज्ञान आठ प्रकारका होता है : (१) मति अज्ञान, (२) श्रुत अज्ञान, (३) अवधि अज्ञान, (४) मति ज्ञान, (५) श्रुत ज्ञान, (६) अवधि ज्ञान, (७) मनःपर्यय ज्ञान और (८) केवल ज्ञान । ये ज्ञान प्रत्यक्ष और परोक्षके भेदसे दो प्रकारके हैं। (मति और श्रुत ज्ञान इन्द्रियों व मनकी सहायतासे उत्पन्न होनेके कारण परोक्ष हैं, तथा अवधि, मन:पर्यय और केवल ज्ञान साक्षात् आत्माकी विशुद्धिसे उत्पन्न होनेके कारण प्रत्यक्ष कहलाते हैं । ) ॥५-६॥ सफेद, पीला, नीला, लाल और काला ये पांच वर्ण; तीखा, कडुआ, कषायला, खट्टा और मीठा ये पांच रस; सुगंध और दुर्गंध ये दो रस; तथा शीत, उष्ण, चिकना, रूखा, कोमल, कठोर, हलका, भारी ये आठ स्पर्श; ये बाँस अजीव मूर्तिक पदार्थों के गुण जीवमें नहीं हैं इसलिये जीव अमूर्ति माना गया है । किन्तु व्यवहारनयकी अपेक्षासे जीवमें पुद्गल कर्म-परमाणुओं का बंध होता है, For Private And Personal Use Only
SR No.020812
Book TitleTattva Samucchaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherBharat Jain Mahamandal
Publication Year1952
Total Pages210
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy