SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 119
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ९८ www.kobatirth.org तत्त्व- समुच्चय Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इस तरह समझकर कुशल साधु स्त्रियोंके संगको कीचड़ जैसा मलिन मानकर उसमें न फंसे | आत्मविकासका मार्ग ढूंढकर संयममें ही गमन करे ||१७|| ९ चर्या परीपह संयमी साधु, परीषहों को जीतकर गांव में, नगर में, व्यापारी बस्तीवाले प्रदेशमें अथवा राजधानीमें भी अकेला ही विचरण करे ||१८|| hari साथ समानताका भाव ग्रहण न करके भिक्षु एकाकी ( रागद्वेष रहित होकर ) विहार करे तथा वह किसी स्थानमें ममता न करे तथा वह गृहस्थोंसे अनासक्त रहकर किसी भी देश, काल, प्रमाणादिका नियम रखे बिना विहार न करे ||१९|| १० निषद्या परीषह स्मशान, शून्य ( निर्जन ) घर अथवा वृक्षके मूलमें एकाकी साधु चिना शरीरकी कुचेष्टाओंके (स्थिर आसन से ) बैठे और दूसरोंको थोड़ासा भी त्रास न दे ॥ २० ॥ वद्दांपर बैठे हुए यदि उसपर उपसर्ग ( किसी के द्वारा जानबूझकर दिये गये कष्ट ) आर्वे, तो वह उन्हें दृढ़ मनसे सहन करे, किन्तु विपत्तिकी आशंका से भयभीत होकर वह न दूसरी जगह जाय और न उठकर अन्य आसन ग्रहण करे || २१॥ ११ शय्या परीषह सामर्थ्यवान् तपस्वी (भिक्षु ) को यदि अनुकूल अथवा प्रतिकूल शय्या मिले तो वह कालातिक्रम ( कालधर्मकी मर्यादाका भंग ) न करे; क्योंकि "यह स्थान अच्छा है, इसलिये यहां अधिक काल ठहगे, यह स्थान बुरा है इसलिये यहां से जल्दी चलो " ऐसी पाप-दृष्टि रखनेवाला साधु अन्तमें आचार में शिथिल हो जाता है ॥२२॥ 66 प्रतिरिक्त अर्थात् शून्य व त्यक्त उपाश्रय पाकर चाहे वह अच्छा हो या बुरा इस एक रातके उपयोगसे भला मुझे क्या दुःख पहुँच सकता है " ऐसी भावना रखकर साधु वहां निवास करे ||२३|| १२ आक्रोश परीषह यदि कोई भिक्षुको आक्रोश ( गालीगलौंज आदि कठोर शब्द ) कहे तो साधु बदले में कठोर शब्द न कहे, व क्रोध न करे, क्योंकि वैसा करनेसे वह भी मूर्खोकी कोटि में आ जायगा । इसलिये विज्ञ भिक्षु कोप न करे ||२४|| For Private And Personal Use Only
SR No.020812
Book TitleTattva Samucchaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherBharat Jain Mahamandal
Publication Year1952
Total Pages210
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy