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गृहस्थ-धर्म (२)
९. परिग्रह-त्याग वस्त्रमात्र परिग्रह रखकर जो शेष परिग्रहका त्याग करता है और जितना परिग्रह रखता है उसमें भी ममत्व नहीं करता है वह नवमी प्रतिमाका श्रावक
१०. अनुमति-त्याग अपने या पराये लोगों द्वारा गृहकार्यके सम्बन्धमें पूछे जानेपर भी जो अनुमोदना नहीं करता, अर्थात् उस कार्यके करनेमें अपनी अनुमति नहीं देता, बह दशमी प्रतिमाका श्रावक है ||३४||
११. उदिष्टत्याग ग्यारहवीं प्रतिमाका श्रावक उत्कृष्ट श्रावक होता है। उसके दो भेद हैंप्रथम एक वस्त्रका रखनेवाला और दूसरा कोपीनमात्र रखनेवाला ॥३५॥
पहले दर्जेवाला अपने बाल उस्तरेसे बनवाता है या कैचीसे कटवाता है, और यत्नके साथ उपकरणसे स्थान आदिको साफ करता है। हाथमें या बर्तनमें भोजन करता है और चार पर्वो में नियमके साथ उपवास करता है ।।३६-३७॥
दूसरे दर्जेवालेकी भी यही क्रिया है। भेद इतना है कि यह नियमसे केशलौंच करता है, पीछी रखता है और हाथमें भोजन करता है ॥३८॥
[वसुनन्दिकृत श्रावकाचार]
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