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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ३९२ तत्त्वनिर्णयप्रासाद___“॥ ॐ नमश्चतुर्थकुलकराय श्वेतवर्णाय श्यामवर्णप्रतिरूपाप्रियतमासहिताय माकारमात्रख्यापितन्याय्यपथाय अभिचंद्राभिधानाय ॥” शेषं पूर्ववत् ॥ ___ ॐ नमः पंचमकुलकराय श्यामवर्णाय श्यामवर्णचक्षुःकांताप्रियतमासहिताय धिक्कारमात्रख्यापितन्याय्यपथाय प्रसेनजिदभिधानाय ॥” शेषं पूर्ववत् ॥ ५॥ "॥ॐ नमः षष्टकुलकराय स्वर्णवर्णाय श्यामवर्णश्रीकांताप्रियतमासहिताय धिक्कारमात्रख्यापितन्याय्यपथाय मरुदेवाभिधानाय ॥” शेषं पूर्ववत् ॥ ६॥ "॥ॐ नमः सप्तमकुलकराय कांचनवर्णाय श्यामवर्णमरुदेवाप्रियतमासहिताय धिक्कारमात्रख्यापितन्याय्यपथाय नाभयभिधानाय ॥” शेषं पूर्ववत् ॥ ७॥ इतिकुलकरस्थापन पूजनविधि ः॥ यह कुलकरस्थापना और परसमयमें गणेशमदनस्थापना, विवाहके पीछे भी सात अहोरात्रपर्यंत रखनी चाहिये । पीछे वरके घरमें शांतिक, पौष्टिक करे. और कन्याके घरमें मातृपूजा पूर्ववत् । तदपीछे विवाहकालसें पूर्व सात, नव, इग्यारह, वा तेरह, दिनोंमें वधूवरको अपने २ घरमें, मंगलगीतवाजंत्रपूर्वक, तैलाभिषेक और स्नान, नित्य विवाहपर्यंत कराना. । प्रथमतैलाभिषेकदिनमें, वरके घरसे कन्याके घरमें, तैल, शिरःप्रसाधनगंधद्रव्य, द्राक्षादि खाद्य शुष्कफल, भेजने.। नगरकी औरतें वरके घरमें, और कन्याके घरमें, तैल, धान्य, ढौकन करें । वधूवरके घरकी वृद्ध नारीयों तिन तैल धान्यढोकनेवाली नारीयोंको, पूडे आदि पक्वान्न देवें । तहां धारणादि देशाचार, कुलाचारोंसें करना. । तैलाभिषेक, कुलकर गणेशादि स्थापन, कंकणबंध, अन्यविवाहके उपचारादिक सर्व, वधूवरको चंद्रबलके हुए, विवाहवाले नक्षत्रमें करना. । तथा धूलिभक्त, कौरभक्त, सौभाग्यजलल्यावन प्रमुख, कर्म, मंगलगीतवाजंत्रादिसहित For Private And Personal
SR No.020811
Book TitleTattva Nirnayprasad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVallabhvijay
PublisherAmarchand P Parmar
Publication Year1902
Total Pages863
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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