________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir
तत्वनिर्णयप्रासाद. भावार्थ:-एकदा अवसरमें भोजराजा शिवालयके द्वारमें अति दुर्बल शृंगीगणकी मूर्ति देखके, पंडित श्रीधनपालजीकों पूछते भए कि, “हे पंडित! यह गीगण अति दुर्बल किस कारणसें है ?" तब श्रीपंडित धनपालजीने कहा, “हे राजन् ! यह शृंगीगण, अपने स्वामी शंकरका असमंजस स्वरूप देखके चिंताकरके दुर्बल हो गया है;" सोही दिखाते है. गीगण यह चिंता करता है कि, यदि महादेव, दिगंबर (दिशारूप वस्त्रका धारी) है, तो फेर इनकों धनुष काहेकों रखना चाहिये ? क्योंकि, दिगंबर, निःकिंचन, होके धनुष रखना यह परस्पर विरुद्ध है. |॥ १॥ यदि, धनुषही रखना था, तो फेर शरीरको भस्म लगानेसे क्या लाभ है ? क्योंकि, धनुषधारी होना यह योद्धे और अहेडी शकारीयोंका काम है, और भस्म शरीरको लगाना यह संतोंका काम है, जिसका किसीकेभी साथ वैर विरोध नहीं है. यह दूसरा विरोध. ॥२॥ अथ जेकर भस्मही शरीरके लगाये संत बने, तो फेर स्त्रीकों संग काहेकों रखनी चाहिये ? ॥ ३ ॥ जेकर स्त्रीही संग रखनी थी, तो फेर कामके ऊपर द्वेष करके उसकों भस्म क्यों करना था ? || ४॥ ऐसें परस्पर अपने स्वामीके विरुद्ध लक्षण देखके ,गीगण दुर्बल हो गया है. ॥ अकलंकदेवोप्याह ॥ ईशः किं छिन्नलिङ्गो यदि विगतभयः शूलपाणिः कथं स्यानाथः किं भक्ष्यचारी यतिरिति च कथं सांगनः सात्मजश्च ॥ आजः किंत्वजन्मा सकलविदिति किं वेत्ति नात्मान्तरायं संक्षेपात्सम्यगुक्तं पशुपतिमपशुः कोत्र धीमानुपास्ते ॥ १ ॥
भावार्थ:-जे कर शंकर, आप ईश्वर सर्व वस्तुका कर्ता, हर्ता है तो, ऋषिके शापसें उसका लिंग किस वास्ते टूट गया? और ईश्वर होके ऋषिके आगे नग्न होके काहेकों नाचा? और जेकर ईश्वर भयरहित है तो, शूलपाणि क्यों है ? जे कर त्रिभुवननाथ है तो, क्यों भीख मांगके खाता है ? जे कर यति है तो, किसतरें स्त्रीसहित और पुत्रसहित है? जे कर आर्द्रा नक्षत्रसें जन्म लिया तो, अजन्मा (जन्मरहित)
For Private And Personal