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संहल निहाए । नो वीस हाय । बालने बुलावे य ॥ २१ ॥
| अर्थः सीनन्दपंधगमणे । खुदा पिवासा जयं च सोगा य ॥ नाणाविहा य रोगा। हति ॥७२॥ तीसाई पञ्च ॥ १२ ॥ एवं पंचासी । ना पन्नारसमेव जीवंति ॥ जे कुंति वाससयया ।।
नत्कृष्टं आयु , तेमांधी पचास वर्षों तो निनावमां व्यतीत थाय , अन बाकीना पचासमांधी दश बालपणाना तथा दश बूढापणाना मळी वीस वर्षों निरर्थक जाय . ॥१॥
हवे बाकी रहेला त्रीस वर्षामांश्री अरधां तो ठंडी, गरमी मुसाफरी, क्षुधा, तृपा, न. El य शोक तथा नानाप्रकारना रोगामां व्यतीत घायले ॥ १॥ एवीरीते जेनन ए
कसो वर्षोर्नु प्रायु होय तेना पच्यासी वर्षों तो नष्ट श्रयां, बाकी पंदर वर्षोंज खरेखर जीवितनां रह्यां, परंतु ते एकमो वर्षोंसुधि जीववान परा (पा काळमां ) प्रायें सुलन नश्री. )
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