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नसो! तेणं मणुया पगनया पगविगिया पगनवसंता पगप यणुकादमागमायलोहा मिनमदवसंपमा अल्लीणा नदगा विणीया अप्पिडा असंनिहिसंचया अचंडा असिमसिकसिवाणिजविवन्जिया, विडिमंतरनिवासिणो, इवियकामकामिणो, गेहागाररुस्ककनिलया, सो बन्न (हामकांनो) पांसळीनवाला कहेला . बली हे आयुष्मन् साधु! ते मनुष्यो नइ प्रकृतिवाला, विनययुक्त प्रकृतिवाला, शांत प्रकृतिवाला, स्वनावधीज सूक्ष्म क्रोध मान माया लोन्नवाला, कोमल माईवपणाश्री युक्त श्रयेला, मत्सरविनाना, नश्क, विनीत, स्वढंप लालचवाला, पास परिग्रह नो संचय नही राखनारा, रौपणाविनाना, शस्त्र लखा
तथा खेतीना व्यापारश्री रहित श्रयेला, चार शाखावाला वृक्षमध्य रहेनारा, मनोवांवित लोगो नोगवनारा, घरजेवा आकारवालां वृदोनी अंदर करलुंब निवासस्थान जेनए एवा
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