________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir
तंडुल
अर्थः
100000
*9929kskskskskskskES.NE"
। सरणं धम्मो गई पच्छा य॥ धम्मेण सुचरीएण य । गम्मद अजरामरं गणं ॥१२॥ पीयकरो वनकरो। नासकरो जमकरो रश्करो य ॥ अन्नयकरो निव्वुश्करो । परत्नवि अजिन धम्मो ॥ १३॥ अमरनरेसु अगोवम-रून लोगोवन्नोगरिही य ॥ विनाणनाणमेव य । लप सुकरण धम्मेण ॥१४॥ देवींदचकवहि-जणाई राई नियाजोगा | एयाइंध॥११॥ धर्मज रक्षण करनार, शरणकरवाजोग, तथा उत्तम गति (आपनारो) , माटे सारीरीते आचरेला धर्मवमे करीने मोके जवाय ॥१२॥ बळी ते उपार्जन करेलो धर्म परलोकमां पण प्रीति करनारो, प्रशंसा करनारो, कांति करनारो, जश करनारो, रति करनागे, अन्नय करनारो तथा मोक्ष करनारो श्राय ॥१५ । वली सारीरीते करेला धर्मश्री देव तथा मनुष्य नवमां अनुपमरूप, लोगोपन्नोगनी शकि, कलाविज्ञान तथा ज्ञान प्रा.
ABEnt-sksewa
॥११
॥
For Private and Personal Use Only