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तंडुल
॥ ??४ ॥
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अन्नं रज्जति अन्नं । रमंति अन्नस्त दिति उल्लानं ॥ श्रनो कडयंतरियं । अन्नो पडयंतरे afa || ३ || गंगा वालुया । सायरे जल हिमविन य परिमाणं ॥ नग्गस्म तबस्स गइ | गप्पत्तिं चवलियाए || ४ || सीहे कुडबुयारस्स | पुलं कुकुदाई अस्से ॥ जाति बुहिमंता । महिलादिययं न जाणंति ॥ ५ ॥ एरिमगुणजुत्ताएं | ताणं कश्यं वमतिय मलाअन्याययुक्त एवी के स्त्रीजना विश्वास करवो नही. ॥ २ ॥
अन्यने खुशीकरे बे, अने अन्यसाधे रमे बे; अन्यने वचन आपे वे, वळी अन्यने सादनी पाबळ संताडे बे, तथा वळी अन्यने पडदापाबळ गुप्त राखे बे ॥ ३ ॥ गंगानी वेलु, समुइनुं जल, हिमालयनुं प्रमाण ( वजन ) नम्र तपनुं फल, माउलीनी गनोत्पत्ति ॥ ४ ॥ सिंहन गुप्त गुंजारव तथा घोडानो गूढ एवो प्लुनशब्द, ए समळु बुद्धिवानो जालीशके बे,
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अर्थः
॥ ११६ ॥