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सैदुल०
अशा
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नन्नेयणकारिपान, परदासपगासियान, कयग्घान, चवलदिययान, चंचलान, एगंतहरिणकु
लान, जो य डानमारोविन मुहरागविरागान, अवियाइंतान अंगनंगस, अरज्जुयो पासो, ॥१०॥ अदारुया अमवी, अणालयम्स निलयो, अश्स्कवेयरणी, अणामिया वाही, अविनगा विप्प
यंकर), कुल, स्वजन तथा मित्रोवच्च नेद (विरोध) करावनारी, परना दापोने प्रगट करनारी, कृतन (करेला नपकारने विमारनारी), चपल हृदयवाली, चंचल एकांत हरिणना टोलांजेवी (मूर्ख), वलो जे करिधागानी वस्तुननी पेठे वारंवार राग तथा विरामवाली,
कमोगमे अंगनंगने प्रगट करनारी, दोरीविनाना पासारखी, काष्टविनाना वनमरखी, नधमना घरसरखी, वैतरणी नदी सरखी, न मटीशके तेवी व्याधिसरखी, वियोगविनाना विप्रलापरूप, अमंतोषना नपमर्गवाळी, कामीनना मनने नमावनारी, सर्वअंगप्रते दाद न
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१०॥
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