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वर्णबीजकोषः
शब्द
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अर्थ शब्द . अर्थ सूर्य:-लामाष स्तम्भनम्-नमः स्वनम्-ट सूर्यमण्ला-ल, सूर्यास्त:-ष स्तरम:-क्रॉ
स्वनितम्-ट सृष्टि:-आउालाक स्तम्मिनी-माअ स्वप्नावती-हक्लएहीं सृष्टिकर्मा-उ स्त्रीप्रणव-औं
स्वभूः-आउकामाकाक्ली सेन्दुवत्-घ स्त्रीबीजम्-प्री
स्वयम्भूः-कामा सेवक:-य
स्थाणुः-लाभाथाधावाह स्यंवरा-प्रीं सेवका-उ स्थानदेवी-थ
स्वर:-:याय संन्धवम्-न स्थायी-टाठ
स्वराट-चाणाॐ सोम:-ऐ। धायासाद्री स्थावर:-ए।गासाह स्वरादि:-आॐ सोमम्-बाव स्थितिः-छाझ
स्वरापगासोमपा:-कण स्थिर:-णाजद
स्वरूपा-स सोमप्रिया-ङ स्थिरप्रसादः-स्लों
स्वरेश्वर:-अ सोमसिन्धु:-आउक्लिीं स्थिरा-औ|गाजाभालाल स्वगरत्नम्-स्लू सौख्यदा-तास स्थूलदन्तः-र
स्वापगा-ल सौख्यदु:स्वप्रबन्धक:-(अं) स्नुही-च
स्वर्णरेतसोवल्लभा-स्वाहा सौपर्णी-घ स्पश:-राष
स्वर्णवेध:-() सोमगभ्रूः-(अं) स्पर्शन:-टायाय
स्वधुनो-ल सौभाग्यबीजम्-सों स्पर्शाकषिणो-उ
स्वनंदी-ल सौभाग्या-(मं) स्पृहा-ऊं
स्वर्वापी-ल सौम्या-ऋए।:(अ:) स्मर:-:काटाकाहाक्लीं स्वस्ति-उ सौरः-छ स्मरणम-ग
स्वातीता-ङ सौरानन्द:-3
स्मरहरः-ए।गासाह स्वात्मवेदिनी-ए सौष्मकम्-नमः स्मितः-थ
स्वात्मशक्ति:-ज स्कन्द:-कट
स्मृति:-जागाजाडाल स्वान्तनम्-अ स्कन्दम्-हाँ
स्मृत्याकर्षिणी-ए स्वायम्भुवमनुपितास्तनम-जाठठम स्यन्दनम्-वावं
कामाक स्तन:-जाज स्रष्टा-क याक
स्वराट-इल स्तनद्वयम्-ठ:: स्वगुह्यः-इ
स्वाहा-ओङ स्तनबी जम्-ज स्वच्छन्द:-क
स्वाहामाला-ऋ स्तम्बेरम:-क्रा
स्वधा-औं। (अं)।त्र स्वेदजात्मा-ओ
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