SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 155
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शब्द अर्थ पञ्चप्रणव:-ॐाऐं पञ्चबाण:-इ।कावली पञ्चमः-पाॐ पञ्चमी-उ पञ्चयज्ञः-ट पञ्चरश्मि-ॐ पञ्चराजः-छ पञ्चशरः-उकाक्लीं पञ्चसुप्त:-च पश्चाननः-ए।गासाह पश्चान्तकः-खाग पश्चान्तकेश:-ग पञ्चास्त्रम्-क्लीं पंचेषु:-क्लों पण्यस्त्री-खीम पण्यात्मा-ज पतनम्-औ पताक:-ए पताकिका-ए पति:-ङ पत्नी -ण पथिनी-थ पद्मम्-इठाठः पद्मगर्भा-ल पद्मधारिणी-उ पद्मपाणि-काक पद्मरेणुः-प पद्मा-उाए।ए।ओ।श्रीं पद्माक्षी-त्री वर्णबीजकोषः शब्द अर्थ शब्द अर्थ पद्मासना-काक परायणा-आलि - पद्मावती-:(अ:) पराविद्या-ॐ पनी-क्री पराशक्ति:-क्लीं पद्मालया-लाश्रीं परिज्ञा- ऐसादा पद्मशः-याप परेतराटपपञ्चमः-ख परोक्षः-स पम्पा -ख पर्जन्य:-औ पयोद:-आ पर्वतः-द __ पयोयोनि-ठ: गवंतारिः-इल पयः-ओ।भास्वाहा पर्वधि:- ऐसाद्री पयःसू:-म पर्यण्यः-इाल परः-(अं)।क्ष पशुपाणि:-ग परदः-फ पल्वलावास:परनायिका-खीं पवनः-काटीयाय परब्रह्म-ऐ पवनबीजम्-यं परमः-अ पवमानः-टायाय परमा-टात्री पशुधतिः -छ परमात्मा-क्षासाह पशुपति:-छानाफाह परमेश्वर:-क्ष पशुप्रियः-छ परमेश्वरी-इडाहों। ह्रीं पश्चिमः-ओ परमेष्ठी-कागषाक पश्चिमास्य:-ओ परविद्या-(अं) पशुचन्दन:-ए।गासाह परस्परनिबोधितः-ऐ पाकशासन:-इल परा-उाला (अं)।७स पाचन:-रार __स्वाहाक्लिी ।ह्रीं ह्रीं पाञ्चजन्य:-हाई पराजित:-घ पाटला-ब पराजिता-ङ पाणिनी-ढ परापर:-ई पाण्ड-स पराप्रासादमन्त्रः-हंसः पाण्ड्यवायन:-आक्लीं पराजीजम्-सौ: पातक:-र For Private and Personal Use Only
SR No.020799
Book TitleDictionaries Tantrashastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamkumar Rai
PublisherPrachya Prakashan
Publication Year1984
Total Pages180
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy