SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 490
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रथम खण्ड 413 मुझको बहुत शकूक पैदा हो चुके थे। मैंने रायचन्द्र भाई से खतो-किताबत शुरू की। उन्होंने मेरे तमाम शकूक रफै कर दिये। जिससे मुझको शान्ति हासिल हुई और हिन्दू धर्म की फिलासफी पर मेरा और दृढ़ श्रद्धान हो गया और मैंने समझा कि सिर्फ हिन्दू धर्म ही एक ऐसा धर्म है जो शान्ति देने वाला है। इस वाकफियत के जरिये रायचन्द्र भाई थे। इसलिए रायचन्द्र भाई में और भी विश्वास बढ़ गया।" ___भारतवर्ष की दुर्गति देखकर महात्मा गांधी ने अपने जीवन का लक्ष्य पांच व्रत बनाये जो कि भगवान् महावीर ने धारण किये थे। उन पर अमल करना शुरू किया यानि अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह। आज महात्मा जी अहिंसा, अदमतशदुद सत्याग्रह से अपने देश को हुकूमत की ज्यादतियों के नीचे से निकालने को तैयार हुए हैं, जिस तरह भगवान् महावीर ने उस जमाने के जानदारों को छुड़ाया था। महात्मा जी हमेशा सच बोलते हैं, इसका सबूत उनकी खुद की डायरी से मिल रहा है। महात्मा जी चोरी नहीं करते और शीलवान भी आप अरसे दराज से हैं; अपरिग्रही तो आप इस कदर हैं कि सिर्फ एक लंगोट के सिवाय और कुछ भी कपड़ा नहीं पहनते। कई लोगों का कहना है कि अहिंसा कायरों और बुजदिलों का धर्म है। अहिंसा इन्सान को बुजदिल व डरपोक बना देती है, जिनमें से लाला लाजपतराय जी मरहूम एक शख्स थे, लेकिन आज महात्मा जी ने भगवान् महावीर की अहिंसा का सिंहनाद दुनियां के हर एक कोने में बजा दिया है और साबित करके दिखला दिया है कि अहिंसा धर्म बहादुरों व बेखोफ लोगों और धर्म पर कुर्बान हो जाने वाले परवानों का धर्म है। अहिंसा धर्म के जरिये से जबरदस्त से जबरदस्त मजालिम भी दूर हो जाते हैं। आज महात्मा जी ने पन्द्रह साल सावरमती आश्रम में तपस्या करने के बाद अहिंसा धर्म का सुदर्शन चक्र लेकर हुकूमत के साथ टक्कर खाने की ठानी है। अहिंसा धर्म बुजदिली सिखाता है या बेखोफी और बहादुरी, यह आज कोई महात्मा गांधी से दरयाफ्त कर सकता है। आज महात्मा जी का त्याग और तप महावीर भगवान् के राजपाट के त्याग का नजारा फिर आंखों के सामने लाकर खड़ा कर देता है। जिस तरह भगवान् महावीर नंगे पांव, नंगे सर और नंगे जिस्म पैदल विहार करते थे आज इसी तरह महात्मा जी भी कूच कर रहे हैं। आज महात्मा जी की इस जबरदस्त हुकूमत के साथ टक्कर लेना भगवान् महावीर के उस जमाने की याद दिलाये बगैर नहीं रह सकती जबकि हिंसा के खिलाफ भगवान् महावीर ने बड़ी जबरदस्त टक्कर ली थी। आज कई लोग फरमाते हैं कि महात्मा जी की हुकूमत पर चढ़ाई ऐसी है, जैसे कि रामचन्द्र जी की रावण पर, और कृष्ण जी की कौरवों पर, लेकिन नहीं! यह बिल्कुल गलत है। उन दोनों की जंग में खून की नदियाँ बह गईं थीं, लेकिन महात्मा गांधी प्रेम, अहिंसा, अदमतशदुद और सत्याग्रह के हथियार से लड़ाई लड़ रहे हैं, 'इस सादगी पै कौन न मर जाये ऐ खुदा। लड़ते हैं मगर हाथ में तलवार भी नहीं।' इसी तरह से आज से तकरीबन अढाई हजार साल पहले भगवान् महावीर भी अहिंसा, प्रेम वगैरह के हथियार लेकर सामने डटे थे। महात्मा जी ने जो एल्टीमेटम वायसराय हिन्द को दिया है, वह एक अंग्रेज के हाथ भेजा गया था। वह इसलिए कि मेरी दुश्मनी किसी अंग्रेज से नहीं है, बल्कि उन मुजालिमों से है जो हिन्दुस्तानियों को तहबोवाला (छोटी बड़ी) कर रहे हैं। मेरे नजदीक तो अंग्रेज भी मेरे ऐसे भाई हैं कि जैसे हिन्दुस्तानी। For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy