________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
388
स्वतंत्रता संग्राम में जैन संविधान सभा में सभी राजनैतिक दलों के प्रमुख नेता, सभी जातियों और धर्मों के लोग, वकील, डॉक्टर, शिक्षाविद्, उद्योगपति, व्यापारी, श्रमिक प्रतिनिधि, लेखक, पत्रकार आदि थे। देश की गणमान्य महिलायें भी यहाँ विराजमान थीं।
9 दिसम्बर 1946 को संविधान सभा का विधिवत् उद्घाटन हुआ। डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद सभा के अध्यक्ष चुने गये। देशी राज्यों के प्रतिनिधि भी क्रमश: आते गये। इस प्रकार 15 अगस्त 1947 तक सभा पूर्ण रूप से प्रभुतासम्पन्न संस्था बन गयी। डॉ0 अम्बेडकर प्रारूप समिति के अध्यक्ष चुने गये।
संविधान सभा लगभग 3 वर्ष (2 वर्ष 11 महीने 17 दिन) कार्यरत रही। उसके कुल ।। सत्र हुए और 165 बैठकें हुईं। प्रारूप समिति की 141 बैठकें हुईं। स्पष्ट है कि हमारी संविधान सभा ने बहुत ही कम दिनों में अपना संविधान बना लिया था।
संविधान सभा के अन्तिम दिन 24 जनवरी 1950 को सभी सदस्यों के हस्ताक्षर हुए। संविधान की तीन प्रतियों, एक हस्तलिखित अंग्रेजी की, एक छपी अंग्रेजी की व एक हस्तलिखित हिन्दी की प्रति पर सभी सदस्यों ने हस्ताक्षर किये। अंग्रेजी की प्रति देखने का सौभाग्य हमें भी मिला है, पूरी प्रति चित्रों से सुसज्जित की गई है। चित्रों के माध्यम से क्रमशः पूरा इतिहास दर्शाया गया है। प्रथम पृष्ठ पर मोहनजोदड़ो से प्राप्त उस सील को दर्शाया गया है, जिस पर एक बैल अंकित है। पृष्ठ 63 पर भगवान् महावीर का चित्र अंकित है। पृष्ठ 151 पर महात्मा गांधी को तिलक करती एक महिला चित्रित है, जो सम्भवतः गांधी जी की दाण्डी यात्रा के समय का है। ध्यातव्य है कि गांधी जी की दांडी यात्रा के समय महिलाओं का नेतृत्व सरला देवी साराभाई (जैन) ने किया था।
. संविधान-सभा में विभिन्न प्रान्तों से चुने हुए प्रतिनिधियों में कुछ जैन धर्मावलम्बी भी थे। पिछले पृष्ठों में संविधान सभा के सदस्य श्री अजित प्रसाद जैन, श्री कुसुमकान्त जैन, श्री बलवन्त सिंह मेहता और श्री रतनलाल मालवीय का परिचय दिया जा चुका है। संविधान सभा के एक और जैन सदस्य श्री भवानी अर्जुन खीमजी का परिचय यहाँ प्रस्तुत है।
कच्छ प्रान्त की ओर से संविधान सभा के सदस्य रहे श्री भवानी या भवन जी अर्जुन खीमजी संविधान सभा में भारतीय व्यापारी वर्ग का भी प्रतिनिधित्व करते थे। कांग्रेस के निर्माण में आपका भारी योगदान था। आपका जन्म 'खाम गाँव' में हुआ था। यूरोप की यात्रा से आपको संसार की विविध प्रवृत्तियों और समस्याओं का ज्ञान हुआ था।
___1930 के आन्दोलन ने मानों आपका जीवन ही बदल डाला था। तभी से आप व्यापार के साथ-साथ राजनीति एवं सार्वजनिक कार्यों में संलग्न हो गये। आपका रुई का व्यापार था। 1930 में बहिष्कार आन्दोलन में जब आपको गिरफ्तार किया गया तो रुई बाजार में गतिरोध पैदा हो गया, फलत: आपको अविलम्ब रिहा कर दिया गया।
श्री खीमजी तत्कालीन बम्बई कॉटन मर्चेण्ट व मुकद्दम ऐसोसिएशन लि0 के अध्यक्ष, ईस्ट इण्डिया कॉटन एसोसिएशन के निदेशक तथा अनेक दातव्य शिक्षा संस्थाओं के ट्रस्टी भी रहे थे।
1940 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में आप एक वर्ष जेल में रहे थे। 1942 के आन्दोलन में भी आपको 2 वर्ष तक नजरबन्द रहना पड़ा था। गांधी जी और सरदार बल्लभ भाई पटेल से आपके घनिष्ठ सम्बन्ध थे।
For Private And Personal Use Only