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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रथम खण्ड 341 में अध्यापन हेतु आग्रह किया। पं0 जी ने उनका मिश्र और रघुनाथ सिंह किलेदार से आपका निकट आग्रह स्वीकार कर गोटेगांव की पाठशाला में 1942 सम्पर्क था। तक अध्यापन किया। आO-(1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-1, पृष्ठ-154 आप 1921 से ही स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय (2) ज0 स0 (2) जै0 स0 रा0 अ0 (3) प्रभावना-स्मारिका (श्री पंचकल्याणक ___ एवं गजराथ महोत्सव, गोटेगांव, वर्ष 1989 के अवर र पर प्रकाशित) हो गये थे। 1941 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में आपने भाग लिया तथा 4 माह का कारावास काटा। कांग्रेस श्री वृन्दावन इमलिया में अपनी बढ़ती हुई गतिविधियों के कारण ही इन्हें प्रथम पंक्ति के जिन रणबांकुरों ने आजादी के पाठशाला का कार्य छोड़ना पड़ा। 1942 के भारत संघर्ष में सब कुछ होम कर दिया था, उनमें श्री छोड़ो आन्दोलन में अपनी नेतृत्वशील भूमिका के वृन्दावन इमलिया का नाम विशेष श्रद्धा और सहानुभूति कारण इन्हें दो वर्ष का कारावास हुआ, जो आपने के साथ लिया जाता है। आपका जन्म 1912 में जबलपुर जेल में काटा। पंडित जी अपनी स्पष्टवादिता ललितपुर (उ0प्र0) में हुआ। आपके पिता का नाम के लिए प्रसिद्ध रहे हैं। एक बार आप अपने बड़े श्री परमानंद जैन था। 1930 में नमक सत्याग्रह तथा पुत्र को गोद में लिए तख्त पर बैठे थे, तभी घोड़े पर नशाबंदी एवं विदेशी वस्त्र बहिष्कार आंदोलन में आपने सवार होकर नरसिंहपुर जिले का तत्कालीन अंग्रेज भाग लिया और 1 वर्ष की कैद पाई। सत्याग्रह में कलेक्टर मि0 बोर्न सामने से गुजरा, पं0 जी ने शामिल हो आप देहली जैसे केन्द्रीय स्थल में भी सतत शिष्टाचारवश उसे अभिवादन किया, मगर उनका संघर्षरत रहे। बडा पुत्र निश्चिंत मन से बैठा रहा। इस पर अंग्रेज जलस और हडतालों से अपना जीवन-चरित कलेक्टर ने किंचित् व्यंग्य से कहा, 'क्यों पंडित डित रचने के कारण देहली, उन्नाव व ललितपुर आदि की न तमने अपने लडके को नमस्ते करना नहीं सिखाया।' सोमानी सिखाया।' जेलों में इमलिया जी को रहना पड़ा । 1932 में जेल इस पर पं0 जी ने बिना हतप्रभ हुए कहा 'सिखाया में में आप 6 माह रहे। कांग्रेस के वीर सिपाही इमलिया तो है पर वह उचित व्यक्ति को ही नमस्ते करता है।' जी बयालीस के आंदोलन के सहयोगी रहे हैं। घोर और कलेक्टर भन्नाता हुआ चला गया। आर्थिक कष्टों में भी आपने अपना संपूर्ण जीवन आजादी के बाद पं0 जी कांग्रेस पार्टी से जुड़े साम्प्रदायिक सद्भाव, खादी प्रचार तथा सामाजिक रहे, किन्तु चुनावी राजनीति से दूर रहे। आप कई कुरीतियों के विरोध में आवाज उठाने में लगा दिया। बार जिला कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष रहे और 85 आप जिला कांग्रेस के सदस्य और मंत्री भी रहे हैं। वर्ष की उम्र में जनता शासन में इंदिरा गांधी की आपके अनुज श्री सुखलाल इमलिया (इनका परिचय गिरफ्तारी के विरोध में चल रहे आन्दोलन के संदर्भ इसी ग्रन्थ में अन्यत्र देखें) भी जेल गये। में जेल गये। आ0- (1) जै0 स0 रा0 अ0 (2) र0 नी0, पृष्ठ-16 विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में जैन धर्म विषयक (2) डॉ0 बाहबलि जैन द्वारा प्रेषित परिचय पं0 जी के लेख प्रकाशित होते रहे हैं। जैन समाज की कुरीतियों पर भी आपने साहसपूर्ण ढंग से कठोर श्री वामनराव जैन (खड़के) प्रहार किया। कुछ समय तक आपने जैन गजट में श्री वामनराव खड़के का जन्म एक जुलाई 1921 सम्पादन का कार्य भी किया। अपने समय के को प्रभातपट्टन (म0प्र0) में हुआ था। आपके पिता राजनीतिक नेता डॉ निरंजन सिंह, पं0 द्वारका प्रसाद का नाम श्री राजाराम जैन था। आपकी माता जी ने For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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