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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रथम खण्ड 313 __ "सन् 1948 में कान्सटीट्यूशनल असेम्बली और अध्ययन के बाद आप सागर में वकालत करने पार्लियामेन्ट का सदस्य बन जाने के बाद 'मलैया' शब्द लगे और हरिजन सेवक संघ के मन्त्री बन गये। 1934 प्रयोग करने का प्रयत्न मैंने किया पर सम्पूर्ण रिकार्ड, में महात्मा गांधी जब सागर पधारे और उनका भाषण जिसमें यूनिवर्सिटी की डिग्रियाँ भी शामिल हैं, में वर्णी जी द्वारा स्थापित श्री दि0 जैन संस्कृत विद्यालय मालवीय था इसलिए गवर्नमेन्ट के सेक्रेटेरिएट ने मोराजी, सागर में हुआ तब उसकी व्यवस्था हरिजन मालवीय ही कायम रखा। इससे कुछ विषमता होने सेवक संघ के नाते आपने ही की थी। गाँधी जी की पर भी मलैया शब्द का उपयोग नहीं कर सका। मुझे अपील पर महिलाओं ने अपने गहने उतार कर दे दिये जगह -जगह मालवीय शब्द के उपयोग का स्पष्टीकरण थे। अपने मजदूर नेता होने के सम्बन्ध में आपने लिखा करना पड़ता।" है कि-'कुछ सालों बाद मेरा सम्बन्ध स्टेट प्यूपिल कांग्रेस मालवीय जी का परिवार कटर जैन है। इस को उड़ीसा और छत्तीसगढ़ रीजनल काउन्सिल से हो सन्दभ म श्री मालवीय जी ने लिखा है-"माँ कटर गया। सन् 1947 के बाद तो कांग्रेस के साथ मजदर आन्दोलन में डूब सा गया।' 1948 में आप जैन धर्मावलम्बी थीं, गीता अध्ययन से उनका माथा ठनकता, गीता क्यों? अपने धर्म का अध्ययन क्यों संविधान सभा के लिए चुने गये। आप मध्यप्रान्तों के नहीं? और इसी स्पर्धा में माँ ने सांध्यशाला जैन बच्चों राज्यों की ओर से चुने गये थे। सभा में आपने मजदूरों के हितों पर जोरदार बहस की थी। मालवीय जी के के लिए शुरू कर ली-अपने ही घर में। अब हमें गीता अनुसार 'सन् 1948 में संविधान सभा का सदस्य के साथ भक्तामर स्तोत्र भी कण्ठस्थ कराया जाने लगा। बनते ही मैंने कोयला खानों के बारे में पार्लियामेन्ट जब तक भक्तामर का एक श्लोक सुना न देते सुबह में प्रश्न करना प्रारम्भ कर दिये थे। देश के का दूध न मिलता...... मुझे भक्तामर कण्ठस्थ है। उसके संविधान पर दस्तखत होना मेरे जीवन का सबसे बड़ा 48 श्लोक बोलते समय किस श्लोक पर कितने आंसू सू सौभाग्य है।' बाद में आप 'कोलयारी इक्यवायरी कमेटी' टपके थे आज भी याद आ जाता है।" के भी सदस्य रहे। 'नेशनल कोल डवलपमेन्ट असहयोग आन्दोलन के दौरान आप कक्षा 8 में कॉरपोरेशन' की स्थापना का सुझाव आपका ही था। पढ़ते थे, प्रधानाध्यापक के लाख समझाने पर भी आपने मजदूरों के नेता के रूप में विख्यात मालवीय जी स्कूल का बहिष्कार कर दिया, बाद में प्रधानाध्यापक 1954 और 1960 में राज्यसभा के लिए चुने गये। श्री खूबचन्द सोधिया महोदय ने भी स्कूल से त्यागपत्र 1962 में नेहरू जी के मंत्रिमण्डल में पार्लियामेन्टरी दे दिया। अपनी देशभक्ति के कारण सोधिया जी बाद सचिव नियुक्त हुए और डिप्टी मिनिस्टर भी। शास्त्री में भारतीय संसद के लिए चुने गये थे। मालवीय जी मंत्रिमण्डल में भी आप डिप्टी मिनिस्टर रहे। 1966 वानर सेना में भी रहे, वे राष्ट्रीय शाला के विद्यार्थी में लेबर कमीशन के सदस्य और लेबर आर्गनाइजेशन रहे। 1925 में आप काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और (आई0एल0ओ0) से भी आप जुड़े रहे और जर्मनी, 1926 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रविष्ट हुए, वहीं हालैण्ड, इंग्लैंड, रूस आदि देशों की यात्रा आपने की से कानून की पढ़ाई की और स्वतन्त्रता आन्दोलन में थी। मनीला में सम्पन्न आई0 एल0 ओ0 के एशियन भी सक्रिय रहे। आपने चांद के सम्पादकीय विभाग राउण्ड टेबुल काफ्रेंस (2 सितम्बर से 18 सितम्बर में 40/-रुपये मासिक पर नौकरी की। 'सरस्वती' में 1969) के चेयरमैन बनने का सौभाग्य भी आपको भी आपके कई लेख छपे हैं। प्राप्त हुआ था। For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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