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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 296 स्वतंत्रता संग्राम में जैन है? उनकी इज्जत क्या है? कोई भी इज्जत नहीं तेजावत जी का जन्म ज्येष्ठ शुक्ल । संवत् करता। आज देश को मौजूदा हालात से उबारने के 1944 ( 1886 ई0) को उदयपुर (राज)) जिले के लिए सबसे पहले व्यापक स्तर पर फैले भ्रष्टाचार एक छोट से ग्राम कोलियारी में हुआ। उर्दू, हिन्दी एवं का उन्मूलन करना होगा।' गुजराती तीनों भाषाओं पर उनका समान अधिकार था। आ0-(1) रा0 स्व0 से0, पृ०-538 (2) जनसत्ता, दिल्ली, विवाह से पर्व ही वे झाडोल आकर स्थानीय जागीरदार दिनांक ।4 जुलाई 1997 (3) अनेक प्रमाण-पत्र (4) श्री महेश के यहाँ कामदार का कार्य करने लगे। यहीं आपने कमार जैन (बरमुण्डा ) द्वारा प्रेषित परिचय। जागीरदारों द्वारा किसानों एवं गरीबों पर किये जाने वाले श्री मोतीलाल टडैया क्रूर अत्याचारों के वीभत्स रूप के दर्शन किये। अन्ततः साहूकार परिवार में जन्म लेने वाले टडैया जी उन्होंने ठिकाने की नौकरी छोड़ दी और मात्रीकुण्डिया को अर्थ-संयम की भावना ग्रसित नहीं कर सकी। (चित्तौड़गढ़) जाकर सर्वप्रथम मेवाड़ राज्य के जुल्मों आपका जन्म 10-10-1905 को ललितपुर (उ0प्र0) के खिलाफ 'एकी' नामक आन्दोलन का सूत्रपात में श्री किशोरी लाल टडैया के यहाँ हुआ। आप किया। कांग्रेस के कर्मठ कार्यकर्ता के रूप में जाने जाते थे। यहीं पर श्री तेजावत ने एक किसान मेले में हजारों 1942 में देश हितार्थ आंदोलनों में कांग्रेस कार्यकर्ताओं किसान भाईयों का राज्य के जल्म के खिलाफ खडे की गुप्त सहायता करने से पुलिस ने कुपित होकर होने के लिए आह्वान किया और हजारों की तादाद में भारत रक्षा कानून की दफा 38 में गिरफ्तार करके किसान काश्तकारों के साथ उदयपुर आकर महाराणा | वर्ष की सजा और 100) के दंड से आपको श्री फतेहसिंह को एक ज्ञापन दिया जिसमें मेवाड की डित किया। अर्थदंड अदा न करनेपर 3 माह का जनता पर लगान बंगार की 2। कलमें पेश कर यह अतिरिक्त कारावास मिला। जीवन भर अदम्य उत्साह निवेदन किया कि ये कलमें माफ होनी चाहिए। दरबार से कांग्रेस के कार्य करते रहने वाले टडैया जी ने ने उनमें से 18 कलमें माफ कर दी, तीन कलमें सामाजिक संस्थाओं की स्थापना में तन-मन-धन से जिनमें जंगलात, सूअर बैठ-बेगार थी, माफ नहीं की, सहयोग दिया। आपका निधन 15-5-60 को हआ। हुआ। इन्होंने उदयपुर के जगदीश मंदिर की सीढ़ियों पर खड़े आ) (1) जै0 स) रा) अ) (2) र नी0, पृष्ठ-87 हो कर यह ऐलान कर दिया कि (3) 'टा) बाहुबलि कुमार द्वारा प्रेषित परिचय (4) पुत्र श्री जिनेन्द्र 18 शर्ते महाराणा साहब ने छोड़ दी हैं और 3 मेवाड़ कुमार द्वारा प्रेपित पत्र। के पंचों ने। इस प्रकार अपनी शर्ते मंजूर हो चुकी हैं। श्री मोतीलाल तेजावत इसके पश्चात् उदयपुर से रवाना होकर तेजावत _ 'राजस्थान के जलियांवाला काण्ड' नाम से जी नाई कोटड़ा, आगपुरा, मादड़ी, झाडोल आदि स्थानों विख्यात उदयपुर के भीलकाण्ड, जिसमें 1200 निहत्थे से भ्रमण करते हुये सैकड़ों भीलों के साथ आकड़ भील एक साथ मारे गये थे, के सूत्रधार श्री मोतीलाल गांव में पहुंचे। वहां पर झाडोल के राजा सा() कुबेरसिंह तेजावत की चर्चा के बिना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम व कोलियारी का कमालखां सिपाही उन्हें मारने हेतु का इतिहास अधूरा ही रहेगा। श्री अर्जुनलाल सेठी ने आये, वहां थोर की बाढ़ में इनसे उनका मुकाबला जिस क्रान्ति का सूत्रपात किया था, विशेषत: राजस्थान भी हुआ। वे गोली चलाने ही वाले थे कि एकदम हल्ला में उसी की अगली कड़ी थे श्री मोतीलाल तेजावत। हो जाने से भाग गये। इस प्रकार तेजावत जी शहीद For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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