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स्वतंत्रता संग्राम में जैन गा-गा कर जनता में स्वतंत्रता का अलख जगाते थे।
श्री मूलचंद सिंघई 1940 के व्यक्तिगत सत्यागह में आपने खुलकर भाग बाबई, जिला-होशंगाबाद (म0प्र0) के श्री लिया। 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में तोड़-फोड़ मूलचंद सिंघई, पुत्र-श्री परमानन्द का जन्म 1910 की कार्यवाही में आप पकड़े गये, फलत: 2 सितम्बर में हुआ। माध्यमिक शिक्षा प्राप्त सिंघई जी ने 1942 से 1 मार्च 1943 तक मण्डला जेल में कारावास 1940-41 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में भाग लिया। की सजा भुगतनी पड़ी। आपके अनुज गुलाबचंद जी 1942 के भारत छोडो आन्दोलन में भी आपने भी जेलयात्री रहे हैं।
सक्रिय भाग लिया एवं एक वर्ष का कारावास भोगा। आ0 (1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-1, पृष्ठ-213
सिंघई जी मण्डल तथा तहसील कांग्रेस कमेटी के (2) जै0 स0 रा0 अ0
लगातार 15 वर्ष अध्यक्ष रहे। खादी ग्रामोद्योग संघ के साव मूलचंद जैन
भी आप अवैतनिक मंत्री रहे। देश के निवासियों को अपमानित, उत्पीड़ित आ0-(1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-5, पृष्ठ-337 (2) और पराधीनता के जीवन से उबारने के लिये जिन्होंने स्व0 स0 हा0, पृ0-112 स्वतंत्रता संग्राम में कष्ट उठाये और स्वतंत्र भारत के
श्री मेघराज जैन सपने सजाये- 'जहाँ सब सुखी होंगे, सब समान श्री मेघराज जैन, पत्र-श्री गणेशीलाल जैन का होंगे, कोई भूख से नहीं मरेगा, जहाँ न्याय का राज्य जन्म 10 जून 1921 को ग्राम-डीकेन, तहसील-जावद, होगा'- वे ही स्वतंत्रता रूपी भवन के निर्माता सैनिक
जिला-मन्दसौर (म0 प्र0) में अभावग्रस्त जीवन व्यतीत करने को बाध्य हुए।
हुआ। अपने विद्यार्थी जीवन कटंगी के श्री साव मूलचंद जैन ऐसे ही दुखी
में मात्र 19 वर्ष की आयु में सेनानियों के एक उदाहरण रहे हैं। आपके पिता का
आप गांधी जी की विचारध नाम श्री फूलचंद जैन था। आपका जन्म 1902 में
रा से प्रभावित होकर आजादी कटंगी, तहसील- पाटन, जिला-जबलपुर (म0प्र0)
के आन्दोलन में कूद पड़े। में हुआ।
आपने 1939 में गांधी जी के सविनय अवज्ञा के दौरान कटंगी में अग्रणी कार्यकर्ता के रूप में साव जी आन्दोलन में
हैदराबाद आर्य सत्याग्रह में भाग लिया। इस कारण सक्रिय हो गये। जंगल कानून भंग किया, फलतः
18 माह के कारावास की सजा हुई तथा दिनांक 22 पुलिस ने लाठियों से शरीर छलनी बना दिया जून को गुलबगो सेन्ट्रल जेल भेज दिया गया किन्त आजीवन वह शारीरिक दौर्बल्य गया नहीं । चार माह इसी बीच नबाब हैदराबाद व आन्दोलनकारियों में की कठोर कारावास की सजा और 50 रुपये जर्माना समझौता हो जाने से श्री जैन 17 अगस्त को अन्य किया गया, जुर्माना न देने पर डेढ़ माह की सजा आंदोलनकारियों के साथ छोड़ दिये गये।
और भोगनी पड़ी। जबलपुर जेल में 5 1/2 माह वापस लौटने पर मेघराज जी ने सार्वजनिक भीषण यातनायें सहते हुए सजा पूरी की। सभा की स्थानीय कमेटी के मंत्री पद का कार्य हाथ
1942 के आन्दोलन में भी आपने भाग लिया में लिया और इसके साथ-साथ हरिजन सभा के और 6 माह के कारावास की सजा भोगी। अध्यक्ष पद का कार्यभार सम्भाला। 1942 के भारत
आ0 (1) म0 प्र0 स्व) सै0, भाग-1, पृष्ठ-123 (2) छोडो आंदोलन के दौरान डीकेन स्थित श्री जैन के स्व0 स0 पा०, पृष्ठ-102
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