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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 262 www.kobatirth.org वस्त्रों करते हुए के समय विदेशी का बहिष्कार उनकी होली जलाई। 1931 के सविनय अवज्ञा आंदोलन में आपने विदेशी वस्त्रों की दुकानों पर धरना दिया। 1930 के नमक आंदोलन में भी आपने भाग लिया था। 1939 के त्रिपुरी कांग्रेस अधिवेशन के अवसर पर आप स्वयंसेवक बनाये गये। 1940-41 में गांधी जी के आदेशानुसार सत्याग्रह में ग्राम कमोद (गोटेगांव) जिला - नरसिंहपुर से आपने पद यात्रा प्रारम्भ की। नरसिंहपुर होते हुए आप रहली, जिला - सागर पहुँचे जहाँ 25-5-41 को गिरफ्तार कर लिया गया। 4 दिन सागर जेल में तथा 7 दिन तक होशंगाबाद जेल में रखा गया। आपने श्री फूलचंद जैन बमोरहा के साथ झाँसी तक पैदल यात्रा की, फलतः झाँसी में भी गिरफ्तार हुए; जहाँ 15 दिनों तक जेल में रहे। 20 दिन सेन्ट्रल जेल जबलपुर में धारा डी0 आई0 आर0 129 (ए) के तहत बन्द रहे। आप 1920 में नरसिंहपुर से गोटेगाँव आ गये थे यहीं 14-10-78 को आपका निधन हुआ। आ)- (1) म) प्र) स्व0 सै0, भाग-1, पृष्ठ-149 (2) जै) स0) रा) अ) (3) पौत्र आलोक कुमार जैन द्वारा प्रेषित परिचया श्री भागचंद जैन 'सच्चे दादा' उपनाम से प्रसिद्ध श्री भागचंद जैन, पुत्र - श्री लीलाधर, निवासी तेंदूखेड़ा (सगोनी), तहसीलगाडरवारा, जिला - नरसिंहपुर ( म०प्र०) ने 1941 के आन्दोलन में भाग लिया। 1942 के आन्दोलन में भाग लेने पर आप गिरफ्तार हुए Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्वतंत्रता संग्राम में जैन और 10 माह जबलपुर जेल में बंद रहे। 1983 में आपका निधन हो गया। (आ) (1) म) प्र) स्व0 सै0 भाग-1 पृष्ठ-149 वैद्य श्री भानुकुमार जैन मौ. जिला-भिण्ड (म()()) के वैद्य भानुकुमार जैन, पुत्र श्री सुखवासी लाल जैन का जन्म 24-9-1917 को हुआ । आपके पिताजी का ग्वालियर राज्य में जमीदारी एवं खेती का कार्य था, फिर भी आप 1931 में कांग्रेस के सदस्य बन गये। 1942 के आन्दोलन में आपने सक्रिय भाग लिया। जिले की कांग्रेस कार्यकारिणी ने प्रस्ताव किया कि 'कुछ कार्यकर्ता जेल जावें और 'कुछ भूमिगत रहकर आन्दोलन का संचालन करें व जेल जाने वालों के परिवारों के भरण-पोषण की व्यवस्था करें।' आपका नाम भूमिगत कार्यकर्ताओं में आ गया । हरिजन पाठशाला का संचालन भी आपने किया था। 1939 में दि0 जैन पार्श्वनाथ मेला (पंचकल्याणक महोत्सव ) के आप अध्यक्ष रहे। आपने काफी समय तक 'खरौआ जैन हितैषी' पत्र का सम्पादन किया था। आ) (1) ख) इ०), पृष्ठ 166 (2) स्व0 40) एवं अनेक प्रमाणपत्र श्री भीकमचंद जैन अपने जीवन के मात्र 38 बसन्त देखने वाले श्री भीकमचंद जैन का जन्म 1922 में सिरसा (हरियाणा) में हुआ | आपके पिता का नाम श्री कालूराम नोलखा था। जन्म के कुछ समय बाद आप अपने मामा श्री लक्ष्मीचंद छाजेड़ के यहाँ ग्वालियर आ For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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