SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 322
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रथम खण्ड 253 रहे हैं। 1938 में वस्त्र व्यवसाय हेतु आपने रंगून की है, और वह करना आवश्यक भी होता है, लेकिन मैं यात्रा की थी। 1939 में तत्कालीन इन्दौर रियासत द्वारा आपको कह सकता हूँ ईमानदारी के साथ, कि मैंने जलकर के विरोध में जनहित में आंदोलन किया एवं राजनीति में रहकर भी हमारे जो बड़े नेता थे, उनकी हड़तालों में प्रमुख रूप से भाग लिया। प्रजामण्डल चाटुकारिता नहीं की। बावजूद इस सबके भी मैंने हमेशा आन्दोलन में भी आपने सक्रिय भाग लिया था। राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखा और जब कभी भी मेरी 103) से ही आप स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय पार्टी पर-मेरे पक्ष पर विरुद्ध पक्ष की तरफ से कोई हो गये थे। 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में भी तीखे प्रहार होते थे, तो सरकार या मेरी पार्टी मुझे ही आपने सक्रियता से भाग लिया। फलत: गिरफ्तार हुए हमेशा खड़ा करती थी कि मैं उनके उत्तर देकर उनकी और 15 माह जेल की दारुण यातनायें सहीं। इससे समझाइस करूँ।' पूर्व भी लगभग 6 माह की जेल-यात्रायें आप कर चुके राजनीति में रहते हुए भी आपने चरित्र को सबसे थे। आप इन्दौर, महेश्वर, मंडलेश्वर, मानपुर, महिदपुर ऊँचा माना। आपके अनुसार उसी चरित्र के बल पर आदि जेलों में रहे थे। 1947 में तत्कालीन इन्दौर समाज के बढे काम' कर सके हैं। आजादी के रियासत में 'आजादी दो' आन्दोलन के तार तम्य में तत्काल बाद 1948 और फिर 1952 में आप इन्दौर आपने राजमहल 'माणिक बाग' का घेराव किया था। नगरपालिका के अध्यक्ष चुने गये। 1954-56 में म0 चुंबकीय व्यक्तित्व के धनी पाटोदी जी अपना प्र0 कांग्रेस कमेटी के महामंत्री और 1957 में इन्दौर प्रेरणा स्रोत श्री मिश्रीलाल गंगवाल (पूर्व मुख्यमंत्री, में सम्पन्न हुए अ0भा0कांग्रेस के अधिवेशन के आप मध्यभारत) और बाबू लाभचंद जी को मानते हैं। इस स्वागत समिति के महामंत्री थे। 1957 और 1962 में सदर्भ में 18 मई 1995 को डॉ0 विक्रम जैन को आप म0 प्र0 विधान सभा के विधायक निर्वाचित हुए। दिये एक साक्षात्कार में आपने कहा है 1957 में आप लोक लेखा समिति तथा परिसीमन __ 'याद करता हूँ मैं बाबू लाभचंद जी और आयोग के सदस्य रहे। आप इन्दौर विश्वविद्यालय मिश्रीलाल जी गंगवाल को, जिन्होंने राजनीति में प्रवेश (वर्तमान नाम-देवी अहिल्या विश्व- विद्यालय) विध दिलाया। राजनीति में भी मैंने जमकर काम किया। कांग्रेस यक प्रबर समिति के भी अध्यक्ष रह चुके हैं। का जनरल सेक्रेट्री रहा, प्रजामण्डल का प्रेसीडेन्ट रहा, वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य और पुनः राजनीति अ)भा() कांग्रेस के (इन्दौर) महाधिवेशन का जनरल में आने के प्रश्न पर आपने कहा-'आज की जो सेक्रेटी रहा। ..................उसके बाद लोगों ने मुझे राजनीति है. वह वह राजनीति नहीं कि जिस वक्त हमने म्युनिसीपाल्टी में चुना, विधानसभा में चुना, वहाँ पर स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया था। एक स्वतंत्रता भी मैंने अपनी पूरी शक्ति के साथ इन्दौर के एक सही संग्राम के सैनिक बनकर हम स्वराज्य प्राप्ति के लिए प्रतिनिधि के नाते काम किया। राजनीति के अन्दर इस देश के अन्दर कूदे थे। आज की राजनीति पावर रचपच गया।' के पीछे है। आज जो व्यक्ति राजनीति में प्रवेश करता तत्कालीन राजनैतिक उठापटक के समय भी है, वह इसलिए करता है कि कल उसे कोई पद आप पूर्णत: ईमानदार रहे, जो आपके जीवन का सबसे मिलेगा और उसके लिए वह उठापटक करता है। यहाँ उजला पृष्ठ है। राष्ट्रहित को सदैव सर्वोपरि मानने वाले तक कि हम देखते हैं कि रोज मारपीट-छुरेबाजी भी पाटोदी जी के विचार हैं-- 'राजनीति में उठापटक होती होती है। For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy