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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 244 स्वतंत्रता संग्राम में जैन परिवार के सदस्यों की भांति प्रारम्भ से ही दिलचस्पी में भाग लेने पर उन पर भी पुलिस की एक लाठी थी। पिता ने सरकारी नौकरी करने से पहले कोटा में पड़ी ओर गोली चलाए जाने के कारण उनके पास खादी भंडार खोलने का प्रयास किया था। बागमल जी ही खड़ा एक व्यक्ति मारा गया। के बड़े भाई राजमल बांठिया को 1942 में इंदौर बम्बई से वर्धा लौट आने पर उन्हें पता चला मेडिकल कालेज से स्वाधीनता संग्राम में भाग लेने कि उनका कालेज सरकार ने सील कर दिया है के कारण निष्कासित कर दिया गया था, जिससे डेढ़ और हास्टल भी खाली करवा लिए हैं। उन्होंने वर्धा साल की पढ़ाई के बाद उनका मेडिकल में ही ठहरकर स्वाधीनता संग्राम में हिस्सा लेना शुरू कैरियर समाप्त हो गया। उन्हें कालेज में दुबारा कर दिया। वे इस संबंध में हिंगनघाट व पास क दाखिला नहीं मिला। कुछ गांवों में एक ग्रुप बनाकर गए। वणी की एक उस समय बागमल जी की आयु मात्र 14 वर्ष सभा में उनके भाषण के तुरंत बाद उपस्थित भीड ने की थी जब एक सहपाठी की हैड मास्टर द्वारा बिना पुलिस कर्मियों की पिटाई कर दी। गिरफ्तारी से कारण डंडे से पिटाई कर देने के कारण वह कक्षा बचने के लिए बांठिया जी वर्धा जाकर कोटा लौट से बाहर आ गये। उनके उकसाने पर 5-6 अन्य आए। छात्रों ने भी कक्षाओं का बहिष्कार कर दिया। यह अगस्त के अंत में जब वे कोटा पहुंचे तब यहां चीज कोटा के लिए उन दिनों अनहोनी सी थी और भी आंदोलन ठंडा पड चका था तब बांठिया जी इसकी खबर अजमेर के एक साप्ताहिक में बागमल अन्य लोगों के साथ इसे पुनरुज्जीवित करने में लग जी का नाम लेते हुए प्रकाशित हुई थी। गए। जेल में हड़ताल करवाने और आंदोलन में कोटा से 1941 में मैट्रिक करने के बाद वे सक्रिय रहने के कारण पुलिस ने उन्हें 17 सितम्बर कॉमर्स की पढ़ाई के लिए वर्धा गए। वर्धा जाने का को गिरफ्तार कर लिया। जेल में उनके साथ वरिष्ठ मुख्य कारण पास ही सेवाग्राम आश्रम में गांधी जी प्रजामंडल नेता श्री मोतीलाल जैन, प्रमख समाजवादी का निवास था। गांधी जी के प्रति श्रद्धा स्कूल के नेता श्री हीरालाल जैन, कालेज यूनियन के अध्यक्ष दिनों से ही शुरू हो गई थी। वर्धा जाने के बाद हर श्री बजकिशोर मेहरा, किसान नेता श्री रतनलाल सप्ताह सेवाग्राम आश्रम जाना, गांधी जी की प्रार्थना गोठवाल व छात्र नेता श्री टीकमचंद जैन और श्री सभा में हिस्सा लेना बांठिया जी का एक नियम सा नंदलाल पारिख थे। 5 नवम्बर 1942 को उन्हें बिना बन गया था। दो तीन माह में एक बार पवनार शर्त जेल से रिहा कर दिया गया। बांठिया जी द्वारा आश्रम भी चले जाते थे जहां विनोबा जी रह रहे थे। आंदोलन में भाग लेने के कारण उनके पिता की बांठिया जी ने 1942 के अखिल भारतीय सरकार ने पदावनति कर दी थी। जेल में उन्होंने कांग्रेस के बम्बई अधिवेशन को प्रेस-पास हासिल अपने साथियों के साथ 3 दिन भूख हड़ताल भी की करके निकट से देखा था। 9 अगस्त को जब श्रीमती थी। अरुणा आसफअली ने सभी प्रमुख नेताओं के गिरफ्तार जेल से छटने के कछ समय पश्चात वे अपने कर लिए जाने के बाद ग्वालियर टैंक पर झंडारोहण बड़े भाई के साथ करांची के पास स्थित एक शहर किया तब वे भी ग्वालियर टैंक पर उपस्थित थे। मोहतानगर चले गए, जहां उनके ताऊजी श्री कस्तूरमल बम्बई में वे तीन-चार दिन और रुके रहे जहां जुलूस बांठिया एक चीनी मिल के मैंनेजर थे। यहां 2-3 For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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