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स्वतंत्रता संग्राम में जैन
लेखों के कारण उनकी जमानतें जब्त हो गई थीं। स्वदेशी का प्रचार करने के लिये जैन बन्धुओं ने अपने मंदिरों में स्वदेशी, हाथ से कती धोती / साड़ी पहनकर ही पूजा-अर्चना करने का प्रचार किया था और मंदिरों में धोती/साड़ी की व्यवस्था भी की थी।
जैन समाज में इतिहास-लेखन के प्रति उदासीनता ही रही है। जैन आचार्यों, सम्राटों, सेनानायकों, कोषाध्यक्षों, मंत्रियों, साहित्यकारों और कवियों तक का प्रामाणिक इतिहास हमारे पास नहीं है । यहाँ तक कि जो हमारे सामने हाल ही में घटा है उसके लेखन की ओर भी हम गम्भीर नहीं हैं। जो वर्तमान में हो रहा है उसका तक इतिहास हम नहीं लिख रहे हैं। यह अत्यन्त चिन्ता का विषय है। कौन जानता है कि आजादी के बाद के पचास वर्षों में लगभग 35 सांसद, 4 राज्यपाल, 8 मुख्यमंत्री, 4 राजदूत, अनेक वैज्ञानिक और उच्च पदों पर जैन समाज के व्यक्ति आसीन हो चुके हैं। मध्यप्रदेश विधानसभा में लगभग 50 जैन विधायक अब तक निर्वाचित हुए हैं।
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स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले जैन वीरों का इतिहास आजादी के तत्काल बाद लिखा जाना चाहिए था। पर हमारे अन्वेषकों, विद्वानों, पंडितों, श्रीमानों का ध्यान इस ओर क्यों नहीं गया? यह विचारणीय विषय है। यद्यपि जैन समाज की शीर्ष संस्थाओं में लगभग 10 बार ऐसे प्रस्ताव पास हुए कि ऐसा काम होना चाहिए पर वे प्रस्ताव प्रस्ताव ही रहे । जब कि जबलपुर, सागर, दमोह, ललितपुर, टीकमगढ़, जयपुर आदि ऐसे जिले हैं जहाँ के जैन सेनानियों पर स्वतंत्र ग्रन्थ लिखे जा सकते हैं।
लगभग दस वर्ष पूर्व हम दम्पती ने 'स्वतंत्रता संग्राम में जैन' जैसे अछूते विषय पर लिखने का विचार कर सामग्री का संकलन प्रारम्भ किया था। विचार था कि 100-125 पृष्ठ की एक पुस्तक इस विषय पर तैयार कर प्रकाशित की जाये। पूज्य आचार्य विद्यासागर जी महाराज की प्रेरणा और आशीर्वाद का ही प्रतिफल है कि ग्रन्थ को तीन खण्डों में प्रकाशित करने की योजना बनानी पड़ी।
प्रथम खण्ड में अमर जैन शहीदों के परिचय के साथ ही विशेषत: मध्यप्रेदश, उत्तरप्रदेश व राजस्थान के जैन स्वतंत्रता सेनानियों का परिचय दिया जा रहा है। दूसरे खण्ड में अन्य प्रदेशों के सेनानियों के साथ ही उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश व राजस्थान के अवशिष्ट सेनानियों के परिचय देने की तथा तीसरे खण्ड में स्वतंत्र चिन्तन के साथ ही जेलयात्रा न कर अन्य प्रकार से सहयोग देने वाले जैन देशप्रेमियों का परिचय देने की योजना है।
प्रस्तुत खण्ड में 'बोलते शब्द चित्र' नाम से एक विस्तृत भूमिका दी जा रही है जिसमें भगवान् ऋषभदेव से लेकर 1857 ई0 तक के जैन राजाओं, मंत्रियों, सेनापतियों, कोषाध्यक्षों, दीवानों, दुर्गपालों आदि का परिचय दिया गया है साथ ही कुछ विशिष्ट जैन राजनैतिक व्यक्तियों का भी इसमें परिचय दिया गया है । विस्तार भय से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों का ही उल्लेख इस उपक्रम में किया गया है। 'स्वतंत्रता आन्दोलन : एक सिंहावलोकन' में 1857 से 1947 तक की प्रमुख घटनाओं को दर्शाया गया है। साथ ही स्वतंत्रता आन्दोलन की प्रमुख घटनाओं को वर्षवार एक अलग उपक्रम में भी दिखाया गया है।
'अमर जैन शहीद' उपक्रम में लगभग 20 जैन शहीदों का सप्रमाण परिचय दिया गया है। जितने उपलब्ध हो सके हैं उतने चित्र भी दिये गये हैं। कुछ और जैन शहीदों के परिचय और चित्र हेतु प्रयास जारी है।
'जैन स्वतंत्रता सेनानी' उपक्रम में उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश व राजस्थान के जैन स्वतंत्रता सेनानियों का परिचय दिया गया है। उत्तरांचल व छत्तीसगढ़ क्रमशः उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश में समाहित हैं। इनमें
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