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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रथम खण्ड 223 आप जेल से छूटकर वापस अपने गाँव लौटे तो सारा आप गिरफ्तार कर लिये गये। म0 प्र0 स्व0 सै0, गाँव आपके स्वागत में उमड़ पड़ा था। भाग-3, पृष्ठ-184 के अनुसार आपने पाँच वर्ष का 1945 में फुलेरा तहसील में आयोजित राजनैतिक कारावास भोगा था। सम्मेलन के आप महामंत्री थे। आपका जीवन बुढ़ार में कांग्रेस स्वयंसेवक दल के संचालक अत्यधिक धार्मिक रहा है। कोल्हापुर में आयोजित श्री जैन निष्णात और उत्साही नवयुवक कार्यकर्ता पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में आप माता-पिता थे। विषम परिस्थितियों में भी कर्तव्य मार्ग पर डटे के पद पर अलंकृत किये गये। उसी पंचकल्याणक रहना आपकी विशेषता थी। में आचार्य देशभूषण महाराज ने आपको ब्रह्मचर्य व्रत आO-(1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-3, पृष्ठ-184, दिया। बाद में आचार्यकल्प श्रुतसागर जी महाराज से (2) स्व0 आ0 श0, पृष्ठ-106 सातवीं ब्रह्मचर्य प्रतिमा का व्रत लेकर आपने अपने श्री पूरनचंद जैन जीवन की दिशा ही मोड़ दी। श्री पूरनचंद जैन, पुत्र-श्री हजारीलाल का जन्म आ0-(1) जै0 स0 बृ0 इ0, पृ-278 1916 में नैनधरा, जिला-दमोह (म0प्र0) में हआ। श्री पूरनचंद जैन बचपन से ही राष्ट्रीय जुलूसों में भाग लेना आपके सागर (म0प्र0) के श्री पूरनचंद जैन, पुत्र-श्री स्वभाव में शामिल था। आपने 1939 में हुई त्रिपुरी फदालीलाल का जन्म 1920 में हुआ। आपने कांग्रेस में समाज के बहुत से युवकों के साथ 1942 के भारत छोडो आन्दोलन में 15 दिन का स्वयंसेवक बनकर दमोह में एक माह ट्रेनिंग ली और कारावास भोगा। तीन सप्ताह त्रिपुरी कांग्रेस में कार्य किया. इसलिए आ0-(1) म) प्र0 स्व) सै0, भाग-2, पृष्ठ-41 सभी स्वयंसेवकों के समान शासन आपको खतरनाक (2) आ) दी0, पृष्ठ-58 व्यक्ति समझने लगा। दि0 4-9-42 को रास्ता चलते, श्री पूरनचंद जैन नगरपालिका अध्यक्ष श्री द्वारका प्रसाद वकील के मकान के पास से, पकड़कर आपको सागर जेल मूलतः बुढ़ार, जिला-शहडोल (म0 प्र0) भेज दिया गया। 7 माह 14 दिन का कारावास निवासी और टिकरापारा, जिला-बिलासपुर (म0 प्र0) भोगकर आप जेल से बाहर आये। देश की आजादी प्रवासी श्री पूरनचंद जैन, पुत्र-श्री रामलाल जैन का तक आप कांग्रेस का कार्य करते रहे। जन्म 1908 में हुआ। बचपन में ही आप स्वतन्त्रता आ0-(1) म0 प्र0 स्व) सै0, भाग-2, पृष्ठ-84 (2) श्री आंदोलन में कद पडे। बढार के सत्याग्रहियों में आप संतोष सिंघई द्वारा प्रेषित परिचय । अग्रणी थे। 1932 में देशद्रोह के अपराध में आप गिरफ्तार हए और पीली कोठी उमरिया (शहडोल) श्री प्रकाशचंद जैन में चार माह नजरबंद रहे। वहाँ से माधोगढ़ किला श्री प्रकाशचंद जैन, पुत्र-श्री रूपकिशोर जैन जेल (सतना) भेज दिये गये, जहाँ एक वर्ष और रामगढ़, जिला-अलवर (राजस्थान) के निवासी हैं। नजरबंद रहे। जंगल सत्याग्रह और असहयोग आंदोलन 1946 में जब आप लगभग 15-16 साल के में भी आपने भाग लिया था। विद्यार्थी थे तब अलवर राज्य प्रजामंडल ने 'गैर 1940 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में आपने जिम्मेदार मिनिस्टरो कुर्सी छोड़ो' आन्दोलन चलाया, भाग लिया तथा 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में जिसमें लगभग 324 व्यक्ति पूरी स्टेट से जेल गये For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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