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- स्वतंत्रता संग्राम में जैन सदैव प्रसन्नचित रहने वाले नरेन्द्र भाई केवल प्रारम्भ के कुछ दिनों में आप राज्य-सभासामाजिक कार्यकर्ता ही नहीं बल्कि एक लेखक भी सचिवालय में अनुवादक तथा सहायक सम्पादक रहे हैं। इन्होंने धार्मिक तथा सामाजिक विषयों पर अनेक फिर 'नवभारत टाइम्स' (नई दिल्ली) के संपादकीय पुस्तकें लिखी हैं। आपकी 'अपराधी' पुस्तक का विभाग से पूर्ण रूप से जुड गए थे। 'नवभारत टाइम्स' विमोचन, माननीय राष्ट्रपति ज्ञानी जैलसिंह जी ने की सेवा में आने से पूर्व आपने स्वतंत्र रूप से एक किया था।
अंग्रेजी मासिक पत्र 'कण्टेम्पोरेरी' का सम्पादन-प्रकाशन उ0प्र0 में स्काउट्स एवं गाइड्स आन्दोलन को भी 1956 और 1958 बीच किया था। आपका हिन्दी, समृद्ध बनाने में जितना योगदान आपका रहा, शायद अंग्रेजी और उर्दू आदि कई भाषाओं पर समान अधि ही उतना किसी अन्य का रहा हो। व्यापारी वर्ग में कार था। आपके द्वारा लिखित साहित्य 'दरीचा और भी आप बडे लोकप्रिय हैं। आप चेम्बर आफ कॉमर्स आईना' (1969) (उपन्यास), 'गुरु मेहमान, चेला एण्ड इण्डस्ट्री के प्रधान रह चुके हैं, आपने विश्व मेजबान' (1970) कहानी-संकलन आदि प्रमुख हैं। के अधिकांश देशों की यात्रायें की हैं।
17 फरवरी 1975 को नई दिल्ली में आपका धार्मिक क्षेत्र में भी आप पीछे नहीं रहे, आप निधन हो गया। उत्तराखण्ड भ) महावीर समारोह समिति के अध्यक्ष
आO-(1) दिवगंत हिन्दी सेवी, भाग-2, पृष्ठ 456 रहे। अनेक जैन संस्थाओं को आपने समृद्ध बनाया है।
डॉ० नरेन्द्र विद्यार्थी आपकी धार्मिक एवं सामाजिक सेवाओं के उपलक्ष्य
स्वच्छ-श्वेत मोटी खादी का धोती-कुर्ता और में 'अ)भा) नरेन्द्र भाई अभिनन्दन समारोह समिति'
टोपी, स्वाभिमान, सादगी एवं सरलता की प्रतिमूर्ति, ने 1983 में आपकी षष्ठीपूर्ति के अवसर पर आपका
दबंग तथा निर्भीक व्यक्तित्व, अभिनन्दन ग्रन्थ निकालकर आपको सम्मानित किया
'कौन बलिहारी न जाये इस था। इस ग्रन्थ में विस्तार से आपके व्यक्तित्व और कृतित्व
रूप पर' यह रूप था डॉ0 की चर्चा है।
नरेन्द्र कुमार का, जो आO-(1) जै0 स0 रा0 अ0 (2) नरेन्द्र भाई अभिनन्दन ग्रन्थ (3) स0 स0 (4) रीजनल एक्सप्रेस 5-8-94 समाचार पत्र
जनसामान्य में 'विद्यार्थी जी' अनेक परिचय फोल्डर आदि
के नाम से लोकप्रिय रहे हैं
और अब हमारे बीच नहीं हैं श्री नरेन्द्र गोयल
__किन्तु उनके अविस्मरणीय सेवा कार्यों, जैन दर्शन के सुप्रसिद्ध विद्वान् श्री दयाचन्द ..
साहित्य लेखन एवं परोपकारी धर्मनिष्ठ जीवन की गोयलीय के पुत्र श्री नरेन्द्र गोयल का जन्म समतियाँ सामाजिक चेतना का पर्याय बनकर मानसपटल 26 फरवरी 1925 को लखनऊ (उ0प्र0) में हुआ। पर सदैव अंकित रहेंगी। आपका सम्पूर्ण जीवन आपने काशी हिन्दु विश्वविद्यालय से दर्शन शास्त्र में सामाजिक एवं राजनैतिक सेवाओं का अनठा संगम एम)ए।) करने के उपरान्त पत्रकारिता तथा स्वतंत्र रहा है। आज भी वे अपने यशः शरीर से समग्र जैन लेखन प्रारम्भ कर दिया था। छात्रावस्था में ही 1942 समाज के हृदय में बसे हुए हैं। के अगस्त आन्दोलन में सक्रिय रूप से भाग लेकर
विद्यार्थी जी का जन्म छतरपर (म0प्र0) जिले आपने जेल-यात्रा की।
के लघु सम्मेद शिखर नाम से विख्यात 'द्रोणगिरि'
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