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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रथम खण्ड 195 प्रारम्भ की। 1920 में बम्बई गये, उस समय श्री नत्थू जैन चर्खा खादी खिलाफत की गूंज थी, तिलक स्वराज्य स्वतंत्रता सेनानी श्री नत्थू जैन (जामला) बैतूल फण्ड का आन्दोलन चल रहा था, आपने वहाँ (म0प्र0) निवासी थे। 1942 के देशव्यापी आंदोलन सभाओं में भाग लिया। आपने 'जागृति' मासिक में आप एक सप्ताह तक नजरबंद रहे। प्रारम्भ किया और घर पर ही खादी प्रचार के लिए आO-(1) म0 प्र0 स्व0 सै), भाग- 5, पृष्ठ-158 भंडार खोल दिया। ____ गांधी जी के पक्के अनुयायी तुरखिया जी किसी श्री नत्थूलाल नारद दिन गेंहू की भूसी, किसी दिन मूंगफली, केला, लखनादौन (सिवनी) म0प्र0 के श्री नत्थूलाल बाजरा, मंग, चना आदि एक-एक चीज पर निकालने नारद, पुत्र- श्री दुलीचंद का जन्म 1913 में हुआ। का अभ्यास करते रहे। मनुष्य 4 पैसे में भी अपना 1939 में जबलपुर त्रिपुरी कांग्रेस में आपने मैस दिन काट सकता है, इसका अनभव किया। जब इन्सपेक्टर का कार्य बहुत संलग्नता से किया । गांधी जी गिरफ्तार हुए तब उनके मुक्त होने तक घी 1941 में आपने व्यक्तिगत सत्याग्रह दिनांक छोड़ दिया। जैन समाज में राष्ट्रधर्म का प्रचार करने 19-4-1941 को लखनादौन तहसील के 'आदेगांव' की भावना से 'जैन ट्रेनिंग कालेज, बीकानेर' का ग्राम से शुरू किया। आप वहाँ से करीब 15 दिन संचालन हाथ में लिया। 1925 में ब्यावर (राज्य) में पैदल चलने के बाद होशंगाबाद जिला के डोगी ग्राम आपने जैन गुरुकुल आरम्भ किया, जिसके छात्रों से में गिरफ्तार कर छिंदबाड़ा जेल लाये गये। वहाँ खादी प्रचार, राष्ट्रीय जुलूसों और सभाओं में भाग लगभग 6 माह रखकर रिहा कर दिये गये। लेना, मद्यनिषेध और राष्ट्रीय विचारों का प्रचार गांव-गांव आ0-(1) म0 प्र) स्वसै0, भाग-1, पृष्ठ-235 (2) में कराते रहे। जै0 स0 रा0 अ0, पृष्ठ-55 तुरखिया जी को 1944 के गुरुकुल उत्सव पर श्री नथमल चोरड़िया मण्डप में नेताजी के फोटो लगाने का अपराध राष्ट्रभक्त एवं प्रमुख समाजसेवी श्री नथमल बनाकर गिरफ्तार कर, अजमेर सेन्ट्रल जेल भेजा चोरडिया का जन्म विसं0 1932 (सन 1876) में गया और उत्सव के पश्चात् मुक्त किया गया। नीमच (म0प्र0) में हुआ। आ0-(1) जै0 स) रा0 अ0, पृष्ठ-68 आपके पिता का नाम श्री श्री नगीनमल जैन हेमराज था। आपके पूर्वजों ग्राम रानापुर, जिला-झाबुआ (म0प्र0) के श्री का निवास डीडवाना था। नगीनमल जैन, पुत्र श्री चंपालाल जैन का जन्म विक्रम संवत् 1775 के 5-10-1923 को हुआ। आपने 1942 के आन्दोलन आसपास वे नीमच में सक्रिय भाग लिया। आपको शासन की ओर आकर बस गये थे। से प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। चोरड़िया जी तन-मन और आपके अग्रज श्री बसन्तीलाल जैन भी स्वाधीनता । - धन तीनों से तो सम्पन्न थे ही, वे राष्ट्रप्रेम, निष्कलंक सेनानी हैं। छवि, निर्भीक व्यक्तित्व, दृढ़ संकल्प एवं कुशल आ) (1) मा प्र) स्व) सै), भाग-4, पृष्ठ-141 नेतृत्व क्षमता से भी सम्पन्न थे। अपनी समूची सम्पन्नता For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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