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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रथम खण्ड 189 ____1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन के समय जोध 1932 में पं0 जवाहरलाल नेहरू की गिरफ्तारी पुर में बम बनाने का काम आपके सुपुर्द किया गया। के बाद पुन: अजमेर 'बाबूजी' के नायकत्व में एक उस समय जोधपुर के हवाई अड्डे पर अंग्रेजी वायुसेना जत्था गया, वहाँ आप अपने साथिया के साथ गिरफ्तार की एक पूरी बटालियन थी, जो मनोविनोद के लिए हुये और जेल में बंद कर दिये गये। 1934 में बढ़े हर शनिवार को शहर के सिनेमागृह में आया करती हुये करों के खिलाफ इन्दौर की जनता ने आठ रोज थी। देवराजजी ने अध्ययन कर टाइम बम बनाया और की अभूतपूर्व हड़ताल की, उसमें 'बाबूजी' गिरफ्तार उसे थैले में रखकर बड़े भाई लालचन्द जी के हाथों हुये और बन्द कर दिये गये। इन्दौर में इसके बाद हाल में कुर्सी के नीचे रखवा दिया। विस्फोट हुआ, दीनानाथ शाही का दमन प्रारम्भ हुआ। प्रजापक्ष ने पर कोई आहत नहीं हुआ, किन्तु सरकार दहल गई। दीनानाथ शाही को चुनौती देकर कानून भंग करना धर-पकड़ शुरू हुई। दुर्भाग्य से दल का एक सदस्य शुरू किया। सभाबन्दी और जुलूसबन्दी के कानून मुखबिर बन गया। दोनों भाई पकड़े गए। जेल में आपको बाबूजी द्वारा तोडे गये। गौसीबाई की गिरफ्तारी के यातनाएं दी गई। सजा के दिन लालचन्द अदालत से दिन थाने तोड़े गये, शहरों में मजदूरों का राज्य था। फरार हो गए एवं अनेक दिन साधु बनकर रहे। दल गौसीबाई की गिरफ्तारी ने बतला दिया कि इस के अन्य सभी अभियुक्तों को सजाएं हुईं। देवराजजी हड़ताल का कारण क्रान्तिकारी नेता नारायण सिंह हैं, को दस साल की कैद हो गई। सिंघी जी ने अनेक जो देवेन्द्र कुमार जी के 'अनाथ-सदन' में छिपे हुए स्थानों पर घूमने के बाद कलकत्ता में अपना कारखाना हैं। फिर क्या था, बाबूजी समेत नारायण सिंह पकड़े स्थापित किया। सामाजिक एवं रचनात्मक कार्यक्रमों गये और जेल में बन्द कर दिये गये। में आप भाग लेते रहे हैं। अगस्त 1942 में कांग्रेस महासमिति की बैठक आ) ( 1 ) इ0 अ0 ओ), भाग-2, पृष्ठ-396, 397 में भारत छोडो आन्दोलन का प्रस्ताव पास होते ही बाब देवेन्टकमार जैन दमन प्रारम्भ हुआ। बाबूजी बम्बई से इन्दौर लौटते 'बाबजी' उपनाम नाम से विख्यात इन्दौर हुए रास्ते में गिरफ्तार कर लिये गये और अजमेर (म0प्र()) के श्री बाबू देवेन्द्रकुमार जैन, पुत्र श्री जेल में बंद कर दिये गये। जेल से छूटने के बाद ही आपने शहर की तमाम लाइब्रेरियों के बाहर प्रचारक कंवर लाल का जन्म 1898 में हुआ। तत्कालीन बोर्ड लगवाये जिसने नवीन जाग्रति पैदा की। राष्ट्रकार्यकर्ताओं में आपका सर्वोपरि स्थान था। 1924 आO-(1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-4, पृष्ठ-24 में सहारनपुर जैन पाठशाला में आपने प्रधानाध्यापक (2) जै0 स0 रा0 अ0, पृष्ठ-64 का काम किया। उसके बाद आपने अपना समस्त जीवन इन्दौर की नागरिक जागृति और राष्ट्रसेवा में श्री देशदीपक जैन अर्पण कर दिया। 1930 में नमक कानून तोड़ने के 'वीरों की रगों में बहता खून कठिन समय में लिए इन्दौर से बाबू जी के नायकत्व में एक जत्था भी ठण्डा नहीं पड़ता' इस कहावत को चरितार्थ करने अजमेर गया। 62 आदमियों की गिरपतारियां हई। वाले, कुरावली, जिला-मैनपुरी (उ0प्र0) के श्री उनमें 36 व्यक्ति जेल भेज दिये गये। बाकी को देशदीपक जैन, पुत्र-श्री गुणधर लाल का जन्म 3 छोड दिया गया। बाब जी को तीन माह की सजा हई अक्टूबर 1919 को कायमगंज, जिला-फर्रुखाबाद और कोड़ों की मार पड़ी। (उ0प्र0) में हुआ। आपके पिताश्री ने 1930 के नमक For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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