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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 124 स्वतंत्रता संग्राम में जैन श्री कमलाकान्त जैन राष्ट्रव्यापी 1942 के जन-आन्दोलन में आपने सक्रिय थांदला, जिला-- झाबुआ (म0प्र0) के भाग लिया और भारत रक्षा कानून की दफा 56 के श्री कमलाकान्त जैन, पुत्र-- श्री टेकचन्द जैन का अन्तर्गत जेल में 5 माह रहीं। आपने दफा 144 को जन्म 1912 में हुआ। माध्यमिक तक शिक्षा प्राप्त भंग करके जुलूसों का नेतृत्व भी किया था। सभाबन्दी श्री जैन 1934 से ही स्वतंत्रता आन्दोलन में सक्रिय कानून भंग करके सभा में भाषण देने के कारण हो गये थे। 1942 के आन्दोलन में गिरफ्तारी के आपको साबरमती जेल में रहना पड़ा। पश्चात् आप राज्य से निष्कासित कर दिये गये। . आप प्रगतिशील विचारों की शिक्षित महिला शासन ने ताम्रपत्र देकर आपको सम्मानित किया है। थीं। आपने धर्म-न्याय और साहित्य का खूब अध्ययन आ) (1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-4, पृष्ठ 137 किया था और कविता लेखन के क्षेत्र में विशेष सफलता प्राप्त की थी। साहित्यिक प्रतिभा के कारण श्रीमती कमला जैन ही आपको 'राष्ट्रभाषा कोविद्' की उपाधि से अलंकृत श्रीमती कमला जैन पुत्री-श्री किशोरीलाल जैन किया गया। आप न केवल अच्छा लिखती थीं मलावली ग्राम, तहसील-लक्ष्मणगढ़ (अलवर) की बल्कि कविता भी बहुत जल्दी बनाती थीं। इनकी रंहने वाली थीं। आपके पति रचनायें 'सुधा', 'कमला' आदि साहित्यिक पत्रिकाओं का छोटी आयु में ही देहान्त में निकलती रहती थीं। सौम्यता, सरलता के साथ हो गया था। उसके बाद आपने सेवापरायणता आपके विशिष्ट गुण थे। 21 अप्रैल देश की सेवा में कार्य किया। 2000 को ललितपुर (उ0प्र0) में आपका निधन हो 1946 में अलवर राज्य गया। प्रजामंडल के आन्दोलन 'गेर आ0- (1) वि0 अ0, पृष्ठ-227, (2) ) नी), पृष्ठ 32 IN जिम्मेदार मिनिस्टरो कुर्सी (3) जैन प्रचारक, जून 2000 छोड़ो' में आपको भी अन्य महिलाओं के साथ पुलिस ने पकड़कर जंगलों में छोड़ दिया। स्वतंत्र कविवर कल्याणकुमार 'शशि' भारत में राजस्थान सरकार ने आपको स्वतंत्रता सेनानी 'अत्याचार कलम मत सहना तुझे कसम ईमान घोषित किया है। की' का आह्वान करने वाले, सरस्वती पुत्र, जिन्हें कल्याच कवित्व शक्ति नैसर्गिक देन आ0- (1) प0 इ०, पृष्ठ 138 के रूप में मिली और जिनकी श्रीमती कमला देवी प्रत्युत्पन्न मति ने कवित्व श्रीमती कमला देवी ने राष्ट्रीय आन्दोलन में प्रवाह को और वेग से जैन नारियों को गौरव और गरिमा के पद पर बढ़ाया, ऐसे कविवर श्री सुशोभित कराया। आपका जन्म ललितपुर (उ0प्र0) शशि जी का जन्म उत्तर में 1915 के आसपास हुआ। आपके पति पं0 ... प्रदेश के रामपुर नगर में परमेष्ठी दास जी (इनका परिचय इसी पुस्तक में 8 मार्च, 1908 में हुआ। पिता श्री बी0एल0जैन अन्यत्र देखें) सरत और साबरमती जेलों में बंद रहे सदगहस्थ थे। शशि जी न तो कोई डिग्री या उपाधि थे। तात्कालिक नारी वर्ग को अभिनव दिशा देते हुए प्राप्त विद्यार्थी रहे और न किसी महाविद्यालय या For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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