________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
114
स्वतंत्रता संग्राम में जैन श्री अशोक सिंघई
आपको गिरफ्तार कर मुंगावली जेल में रखा गया। सागर (म0प्र0) के श्री अशोक सिंघई, पुत्र-श्री गांधी जी के चरण-चिह्नों पर चलकर बाफना जी रज्जू लाल ने सन् 1942 के भारत छोडो आन्दोलन में लोगों को स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए सदा प्रेरित करते 2 माह का कारावास भोगा।
रहे। गांव-गांव जाकर लोगों को रूढ़ियों से मुक्त आ)- (!) म) प्र) स्व0 सै0, भाग-2, पृष्ठ-8, (2) आ0 कराने, नशाबन्दी तथा शिक्षा के प्रति रुचि लेने के दी0, पृष्ठ 30
लिए आप उत्साहित करते रहे। श्री आनंदराव जैन
आ)-(1) मा0 प्र0 स्व) सै), 4/213, (2) स्व० स) म),
पृष्ठ-142 मुल्ताई, जिला-बैतूल (म0 प्र0) के श्री र आनन्द राव जैन, पुत्र-श्री नारायण राव का जन्म श्री ईश्वरचन्द्र जैन उर्फ वंशीलाल जैन 1914 में हुआ। 1938 में आप ब्रिटिश सेवा छोड़कर चलती ट्रेन को रोककर उसके इंजन पर राष्ट्रीय आन्दोलन में सम्मिलित हुए। 25-9-1941 से 1 माह ध्वज फहराने वाले श्री ईश्वरचन्द्र उर्फ वंशीलाल तक आप बैतूल जेल में रहे। 1942 के आन्दोलन में
जैन का जन्म पिपरिया कलां, भी आप 15 दिन नजरबन्द रहे थे।
जिला-जबलपुर (म0प्र0) में आ)-(1) म0 प्र0 स्व) सै), भाग-5, पृ0 141
हुआ। आपके पिता का नाम श्री आनंदीलाल जैन
श्री कन्छेदीलाल जैन था। आप इन्दौर (म0प्र0) के श्री आनंदीलाल जैन, पुत्र
1930 से ही सविनय अवज्ञा श्री शैतानमल का जन्म 20 अप्रैल 1926 को हुआ।
आंदोलन में दादा बद्रीनाथ आपने एम0 ए0 (अर्थशास्त्र) की उपाधि प्राप्त की।
दुबे के नेतृत्व में सक्रिय हो स्वतंत्रता संग्राम के सक्रिय कार्यकर्ता रहे श्री जैन को गये थे। नमक-कानून भंग करने के दौरान पुलिस के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के कारण गिरफ्तार निर्मम लाठी प्रहार से आपका शरीर लहूलुहान हो कर लिया गया और लगभग 15 माह के कारावास गया। पुन: जंगल सत्याग्रह और विदेशी वस्त्र की सजा दी गयी। आपके बड़े भाई श्री गेंदालाल जी बहिष्कार आंदोलन में भाग लिया। ट्रेन पर आरूढ़ ने भी जेलयात्रा की।
होकर गाडरवारा स्टेशन के समीप जंजीर खींचकर आ) - (1) म) प्र) स्व) सै), भाग-4, पृष्ठ-) ट्रेन रोकी और 'भारत माता की जय' के नारे लगाते श्री इन्द्रमल बाफना
हुए, हाथ में तिरंगा झंडा लिए आप तेजी से इंजन के श्री इन्द्रमल बाफना का जन्म सीतामऊ, जिला
समीप पहुँचे और उस पर तिरंगा ध्वज फहराने में मंदसौर (म0प्र0) में 1915 में हुआ। आपके पिता
सफल हो गये। ट्रेन के यात्रियों में खासा कौतूहल का नाम श्री थावरचंद था। आपका कार्यक्षेत्र सीतामऊ फैल गया। पुलिस दौड़ी और इस 'बागी' युवक को स्टेट ही रहा, किन्तु अनेक बार आप स्टेट से बाहर गिरफ्तार कर केन्द्रीय कारागार जबलपुर भेज दिया ग्वालियर स्टेट व सदर राजस्थान में जाकर भी गया, जहां आपको दिनांक 30 सितम्बर 1932 से आंदोलन में भाग लेते रहे। इंदौर रहकर भी आपने 8 मार्च 1933 तक कठोर यातनायें भोगनी पड़ी। आंदोलन में भाग लिया। भारत छोड़ो आंदोलन में जेल से मुक्त होने पर कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में
For Private And Personal Use Only