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गोतिका
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· बोल, बोल, शीघ्र बतला, तूने क्या शुभ साधना की है ? अरे । परभव की यात्रा के लिए कुछ संबल तैयार किया है या नहीं ?
मानव ! मानव भव पाकर तूने क्या शुभ कार्य किया है ? जन्मान्तर की यात्रा में जो उपयोगी हो, क्या ऐसा पाथेय नैयार कर रखा है !
१ तेरे समवयस्क व्यक्ति चले गए। पूज्यनीय माता पिता आदि भी न
रहे । फिर भी अपना जाना तेरे खयाल रे भी नहीं है, क्या उसे भूल
ही चुका है ? २. तू भूल चाहे याद रख, वह सर्वभक्षी यम (काल) तुझ नहीं छोड़ेगा ।
पैदा हुई कौन-सी वस्तु ऐसी है जो इस धर्म के द्वारा नष्ट न की गई हो ? ३. मौत का नाम सुनते ही शरीर कांप उठता है, फिर भी मोह-माया में
फंसे हुए प्राणो अपने को साधना की ओर नहीं लगाते ।
४. आश्चर्य है ! व्यक्ति जानता सब कुछ है परन्तु करता कुछ भी नहीं है ।
'निश्चित ही मुझ यह करना है केवल ऐसा कहता रहता है। 'चन्दन' जो परमपद की साधना करता है, वही कोई विरल महात्मा धन्यवाद का पात्र है । उस महामना के चरण-युगल में कौन भक्ति पूर्वक, नमस्कार नहीं करता?
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