SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Maharan Adana Koncm www.inbatrtn.arg Acharya Shr a garsur Gyanmad स्वमाध्याय 200800900900500900500900500HLOEOMSOORDDEDIEDOSDOematoster चउदपूर्वधर भगवान् भद्रबाहुस्वामि विरचितः से स्वप्नाध्यायः ६ नियकम्मनिम्मयं चिय सुहासुदृ पायडंति किर सुत्तिणा। घणतिमिरनियर परिसंठियाणि दव्वाणि दीवव्व॥१॥ गय सीह वग्घ हय वसह नर जुयं वाहनं समारूढो। जो वच्चइ सुमिणं ते पुढवीए होई सो राया ॥२॥ किर नर पासायत्थो जलहिपाउण जो उ बुज्झिज्ज । तह चेव सोऽवि राया होई फुडं जाइरहिओवि॥३॥ धवलगइंदारूढो तडागसीसम्मि सालिदाहिकूरं । जो भुंजइ सो वि फुडं नरनाहो होइ पुहवीए ॥४॥ नगनगरगामकाणण सरिसमुदं च सुमइ बोहाहिं । उद्धरह सोऽवि राया होइ फुडं थोव दिवसे हिं॥५॥ निजकर्मनिर्मकमेय शुभाशुभं प्रकटयन्ति किल स्खमाः । घनतिमिरनिकर परिसंस्थितानि द्रव्याणि दीप इव ॥१॥ गज सिंह व्याघ्र हय वृषभ नर युगं वाहनं समारूढः। यो गच्छति स्वमान्ते पृथिव्या भवति स राजा ॥२॥ किल नर प्रासादस्थो जलधिमापनं यस्तु वुध्यत । तथा चैव सोऽपि राजा भवति स्फुटं जाति रहितोऽपि ॥३॥ धवलगजेन्द्रारूढ स्तटाकशीर्षे शालिदधिकूरम् । योभुः सोऽपि स्फुटं नर नाथो भवति पृथिव्याः ॥४॥ नगनगरग्राम कानन सरित्समुद्रं च सुमति बोधाभिः । उद्धरति सोऽपि राजा भवति स्फुट स्तोक दिवसैः ॥५॥ ME0TB000000000000000000000000000e0antom Inamdabontheti For PrAnd Personal use only
SR No.020786
Book TitleSwapnadhyaya
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
Author
PublisherBhadrabahuswami
Publication Year
Total Pages9
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy