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सूत्रकृताङ्गे २श्रुतस्कन्धे शीलाकीयावृत्तिः
२क्रिया| स्थानाध्य धर्मपक्षवन्त:
॥३३३॥
इ वा जन्नं जन्नं दिसं इच्छंति तन्नं तन्नं दिसं अपडिबद्धा सुइभूया लहुभूया अप्परगंथा संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणा विहरंति ॥ तेसिं णं भगवंताणं इमा एतारुवा जायामायावित्ती होत्था, तंजहाचउत्थे भत्ते छठे भत्ते अट्ठमे भत्ते दसमे भत्ते दुवालसमे भत्ते चउदसमे भत्ते अद्धमासिए भत्ते मासिए भत्ते दोमासिए तिमासिए चाउम्मासिए पंचमासिए छम्मासिए अदुत्तरं च णं उक्खित्तचरया णिक्खित्तचरया उक्खित्तणिक्खित्तचरगा अंतचरगा पंतचरगा लूहचरगा समुदाणचरगा संसट्टचरगा असंसट्टचरगा तज्जातसंसट्टचरगा दिट्ठलाभिया अदिट्टलाभिया पुट्ठलाभिया अपुट्ठलाभिया भिक्खलाभिया अभिक्खलाभिया अन्नायचरगा उवनिहिया संखादत्तिया परिमितपिंडवाइया सुद्धेसणिया अंताहारा पंताहारा अरसाहारा विरसाहारा लूहाहारा तुच्छाहारा अंतजीवी पंतजीवी आयंबिलिया पुरिमड्डिया निविगइया अमजमंसासिणो णो णियामरसभोई ठाणाइया पडिमाठाणाइया उक्कडआसणिया णेसजिया वीरासणिया दंडायतिया लगंडसाइणो अप्पाउडा अगत्तया अकंडया अणिगृहा] (एवं जहोववाइए) धुतकेसमंसुरोमनहा सबगायपडिकम्मविप्पमुक्का चिट्ठति ॥ तेणं एतेणं विहारेण विहरमाणा बहइं वासाई सामन्नपरियागं पाउणंति २ बहुबहु आबाहंसि उप्पन्नंसि वा अणुप्पन्नंसि वा बहाई भत्ताई पच्चक्खन्ति पञ्चक्खाइत्ता बहूई भत्ताई अणसणाए छेदिति अणसणाए छेदित्ता जस्सट्टाए कीरति नग्गभावे मुंडभावे अण्हाणभावे अदंतवणगे अछत्तए अणोवाहणए भूमिसेजा फलगसेज्जा कट्ठसजा केसलोए बंभचेरवासे परघरपवेसे लद्धा
॥३३३॥
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