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________________ Shri Maha r adhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsag a nmandir सूत्रकृताङ्गे २ श्रुतस्कन्धे शीलाकीयावृत्तिः २ क्रियास्थानाध्य० अधर्मपक्षवन्तः ॥३२८॥ आरंभसमारंभाओ अप्पडिविरया जावज्जीवाए सवाओ करणकारावणाओ अप्पडिविरया जावज्जीवाए सवाओपयणपयावणाओ अप्पडिविरया जावजीवाए सवाओ कुट्टणपिट्टणतज्जणताडणवहबंधपरिकिलेसाओ अप्पडिविरया जावज्जीवाए, जे आवण्णे तहप्पगारा सावज्जा अबोहिया कम्मंता परपाणपरियावणकरा जे अणारिएहिं कजंति ततो अप्पडिविरया जावज्जीवाए, से जहाणामए केइ पुरिसे कलममसूरतिलमुग्गमासनिप्फावकुलत्थआलिसंदगपलिमंथगमादिएहिं अयंते कूरे मिच्छादंड पउंजंति, एवमेव तहप्पगारे पुरिसजाए तित्तिरवगलावगकवोतकविंजलमियमहिसवराहगाहगोहकुम्मसिरिसिवमादिएहिं अयंते कूरे मिच्छादंडं पउंजंति, जाविय से बाहिरिया परिसा भवइ, तंजहा-दासे इ वा पेसेइ वा भयए इ वा भाइल्ले इ वा कम्मकरए इवा भोगपुरिसे इ वा तेसिपि य णं अन्नयरंसि वा अहालहुगंसि अवराहंसि सयमेव गरुयं दंडं निवत्तेइ, तंजहा-इमं दंडेह इमं मुंडेह इमं तजेह इमं तालेह इमं अदुयबंधणं करेह इमं नियलबंधणं करेह इमं हड्डिबंधणं करेह इमं चारगबंधणं करेह इमं नियलजुयलसंकोधियमोडियं करेह इमं हत्थछिन्नयं करेह इमं पायछिन्नयं करेह इमं कन्नछिण्णयं करेह इमं नक्कओहसीसमुहछिन्नयं करेह वेयगछहियं अंगछहियं पक्खाफोडियं करेह इमं णयणुप्पाडियं करेह इमं दसणुप्पाडियं वसणुप्पाडियं जिन्भुप्पाडियं ओलंबियं करेह घसियं करेह घोलियं करेह सूलाइयं करेह मूलाभिन्नयं करेह खारवत्तियं करेह वज्झवत्तियं करेह सीहपुच्छियगं करेह वसभपुच्छियगं करेह दवग्गिदड्डयंगं कागणिमंसखावियंगं eeseeeeeeeeeeees ॥३२॥ For Private And Personal
SR No.020782
Book TitleSutrakritangam
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherVenichand Surchand
Publication Year1917
Total Pages859
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sutrakritang
File Size18 MB
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