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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ४२.६ सूत्रकृताङ्गसूत्रे 913 १६ १९ २० हिङ्गुलकं मनःशिला, शशकाअने इनौ रत्नविशेषौ, मवालो विद्रुमः, 'अबम २१ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २२ पङलभत्रालयबायरकाए, अभ्रपटलाभ्रवालुकाबादरकाय:, तत्र - अभ्रपटलं गगनस्य जलावसायः अभ्रवालुका तु जलावसाययुक्ता धूलि, बादरकायः पृथिवीभेद, 'मणिविहाणा' मणिविधानाः 'गोमेज्जए य रयए अंके फलि य लोहिय 2 ૨૩ २४ २५ હ્રદ क्य' गोमेद्यकं च रजतमङ्कं स्फटिकञ्च लोहिताख्यञ्च, 'मरगयमसारगल्ले २९ ५७ मोदीले य' मरकतो मसारगल्लो भुजमोचकमिन्द्रनीलच । 'चंदणगेरुय ૩૪. 30 33 ३२ ३३ 34 पुलर सोधिए य बोद्धव्वे' चन्दन गेरुकहंसगर्भपुलाकं सौगन्धिकं च बोद्ध ३६ • 30 ३९. व्यम् । 'चंदप्यभ-वेरु लिए-जलकंते - सूरकं ते य' चन्द्रमभं-चैर्य-जलकान्तःसूर्यकान्तव । उपर्युक्तनायासु ये ये-उक्तास्तेभ्य आरभ्य सूर्यकान्तपर्यन्तयोनिषु समुत्पन्नाः समुत्पत्स्यमानाश्च ते ते पृथिवीजीवाः । 'याओ एएस (११) चांदी (१२) स्वर्ण (१३) वज्र (१४) हरताल (१५) हिंगुलक (१६) मैनसिल (१७) शासक (१८) अंजन ( १९) प्रवाल ( २० ) अभ्रपटल ( आकाश का जलावसाय) (२१) अभ्रवालुका जलावसाय से युक्त धूल (ये बादर पृथ्वीकाय के भेद हैं) अब मणियों के भेद कहते हैं (२२) गोमेद (२३) रजत (२४) अंक (२५) स्फटिक (२६) लोहिताक्ष (२७) मरकत (२८) मसारगल्ल (२९) भुजपरिमोचक (३०) इन्द्रनील (३१) चन्दन (३२) गेरुरु (३३) हंमगर्भ (३४) पुलाक (३५) सौगंधिक (३६) चन्द्रप्रभ (३७) बैडूर्य (३८) जलकान्त और (३९) सूर्यकान्त, ये सब मणियों के प्रकार हैं। For Private And Personal Use Only (७) बादु (८) रांगु (८) तांभु (१०) शीसु (११) यांही (१२) स्व (13) वल (१४) इरताज (१५) डिंगो (११) मैनसिल (१७) शासक (१८) भन (१८) प्रवास (२०) अपरस (आमशना सविसाय) (२१) अब्राम सा વસાયથી યુક્ત ધૂળ (આ બાદર પૃથ્વીકાયના ભેદો છે. હવે મણિચેના ભેદો डेवामां आवे छे. (२२) गोमेह (२३) २४ (२४) २४ (२५) २३टिड (२६) बोहिताक्ष (२७) भरत (२८) भसार गल्स (२८) भुभ परिभाय (३०) ४न्द्र नीस (३१) थंडन (3२) ३४ ( 33 ) (सगर्भ (३४) पुसा ( 34 ) सौग ंधिक (3) यन्द्रयल (३७) वैडूर्य (३८) स ंत मने ( 36 ) सूर्य या मधा મણિયાના પ્રકાશ છે.
SR No.020781
Book TitleSutrakritanga Sutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti
Publication Year1971
Total Pages797
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sutrakritang
File Size15 MB
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