________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
समयाबोधिनी रीका द्वि.श्रु. अ.२ क्रियास्थाननिरूपणम्
टीका- अष्टमं क्रियास्थानं निरूपित, सम्पति-नवमं क्रियास्थानमाह,'अहवरे' इत्यादि। 'अहावरे' अथाऽपरम् 'णमे' नवप्रम् 'किरियट्ठाणे' क्रियास्थानम् 'माणवत्तिए' मानपत्ययिकम् 'त्ति आदिनाई' इत्याख्यायते । से जहा णामए' तपथानाम 'केइपुरिसे' कश्चित्पुरुषः 'जाइमएण वा जातिमदेन वा 'कुलमएण वा' कुलमदेन वा, जाति:-क्षत्रियादिः, कुलमिक्षाकादिकम्, तन्मदेनाsमिमानेन-अहं विशिष्टजातिकुलसम्पन्नः, मदन च इमे हीनजातिकुलवन्त:इत्याभिमानं सन्धत्ते । 'बलमएग वा' बलमदेन वा-चलं सामर्थ्य शक्तिविशेष: तच शरीरवाङ्मनःसम्बन्धि, सदाश्रित्य गर्व करोति । 'रूपमएम वा' रूपमदेन पा-अहं रूपवान् अन्यस्तु न तथेत्यादिरूपप्रसंशनेन अभिमानं विभत्ति । 'तवो मएण वा' तपोमदेन-तपसो मदस्तो मदस्तेन । 'सुथमएण वा' श्रुतमदेन वा श्रूयते इति श्रुतम्-शास्त्रम् -तन्म देन, 'लाभमरण वा' लाभमदेन वा-'इस्स:
(२) मानप्रत्ययिक क्रियास्थान 'अहावरे गवमे किरियट्ठाणे' इत्यादि ।
टीकार्थ-आठवें क्रियास्थान के निरूपण के अनन्तर अब नौवां क्रियास्थान कहते हैं-लौवां क्रियास्थान मान प्रत्ययिक कहलाता है। उसका स्वरूप इस प्रकार है-कोई पुरुष जातिमद या कुल मद से अर्थात् मैं ऐसी ऊंची क्षत्रियादि जाति का हूं ऐसा अभिमान करना यह जातिमद है में इक्ष्वाकु आदि विशिष्ट कुल में जन्मा हूं, मेरे सिवाय दूसरे हीन जाति या हीन कुल के हैं, इस प्रकार का अभिमान करता है वह कुलमद है बलमद करता है अर्थात् शरीर वचन या मन सम्बन्धी सामर्थ्य का गर्व करता है मैं सुन्दर हूं-दूसरे नहीं, इस प्रकार रूप का अभिमान करता है, तप का मद करता है श्रुन का मद करता है लाभ का मद करता है, ऐश्वर्य का
(6) भानप्रत्याय लियास्थान 'अहावरे णवमे किरियठ्ठाणे' त्यादि
ટીકાÉ—-આઠમા કિયારથાનનું નિરૂપણ કરીને હવે નવમું ફિયાસ્થાન માન પ્રત્યયિક કહેવાય છે. તેનું સ્વરૂપ આ પ્રમાણે છે કે પુરૂષ જાતિમદ અથવા કુળ મદથી અર્થાત હું આવી ઉંચી ક્ષત્રીય વિગેરે જાતિનો . હું દફવાકુ વિગેરે વિશેષ પ્રકારના કુળમાં જન્મ્યો છું. મારા વિના બીજા હિનનીચી જાત અને નીચા કુળના છે, આવા પ્રકારનું અભિમાન કરે છે, તે કુલમદ કહેવાય છે. તથા શરીર વચન અથવા મન સંબંધી સામર્થ્યને ગર્વ परे है, त म मह वाय छे. सुंदर छु'. मी तेवा सु२ नथी, આ પ્રમાણે રૂપનું અભિમાન કરે છે, તે રૂપમદ છે, તપનું અભિમાન
For Private And Personal Use Only