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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir समयार्थबोधिनी टीका प्र. श्रु. ४. ६ ३.१ भगवतो महावीरस्य गुणवर्णनम् ४७१ मूलम्- से संवदंसी अभिभूयनाणी, णिरामगंधे धिइमंठियप्पा। अणुत्तरे सव्वजगंसि विजं, गर्था अतीते अभये अजीऊ॥५॥ छाया-स सर्वदर्शी अभिभूयज्ञानी, निरामगन्धो धृतिमान् स्थितात्मा । अनुत्तरः सर्वजगति विद्वान् , प्रन्यादतीतोऽभयोऽनायुः ॥ ५ ॥ अन्वयार्थ-(से) स महावीरः (सरदंसी) सर्वदर्शी-सामान्यतः सर्वपदार्थ. विषयकदर्शनशीलः (अभिभूयनाणी) अभिभूय ज्ञानी- केवलज्ञानी (णिरामगंधे) शब्दार्थ-'से-सः' वह महावीर स्वामी 'सच्चदंसी-सर्वदर्शी' सम. स्त पदार्थों को देखनेवाले 'अभिभूयनाणी-अभिभूयज्ञानी' केवलज्ञानी 'णिरामगंधे-निरामगंधः' मूलगुण और उत्ता गुण से विशुद्ध चारित्र का पालन करने वाले 'धिहम-धृतिमान् धृति युक्त और 'ठियप्पा-स्थितात्मा' आत्मस्वरूप में स्थित थे 'सम्बजगंसि-सर्वजगत्प्लु' संपूर्ण जगत् में वह 'अणुत्तरे विज-अनुत्तरो विद्वान् । सब से उत्तम विद्वान थे 'गंथाअतीते-ग्रन्थातीतः' बाह्य और आभ्यंतर दोनों प्रकार की ग्रन्थियों से रहित 'अभए-अभयः' निर्भय और 'अणा3-अनायुः' चारों प्रकार की आयु से रहित थे ॥५॥ 'से सव्वदंसी' इत्यादि। अन्वयार्थ-भगवान् महावीर सर्वदर्शी अर्थात् सामान्य रूप से समस्त पदार्थों के दर्शन से युक्त थे। केवलज्ञानी थे। मूलगुणों और 'से सम्बदंसी' शहाय-से-स' ते महावीर स्वामी 'सव्वदंसी-सर्वदर्शी' मा । पहात नेपाou 'अभिभूयनाणी-अभिभूयज्ञानी' ज्ञानी ‘णिरामगंधेनिरामगंधः' मुखशु मने उत्तरगुथी विशुद्ध यात्रिनु पालन ४२११णा 'धिइम-धृतिमान्' धृति युति भने 'ठियप्पा-स्थितात्मा' मा म २५३५मा स्थित ता, 'सव्वजगमि-सर्वजगत्सु' सपू गतमा त 'अणुत्तरे विज्ज-अनुत्तरो विद्वान्' माथी उत्तम विद्वान हता, 'गथा अतीवे-ग्रन्थातीतः भने भा९५२ २ २नी अथियाथी २हित 'अभए-अभयः' Gिe°4 भने 'अणाउ-अनायुः' थारे ना आयुथी २खित . ॥५॥ સૂત્રાર્થ–મહાવીર પ્રભુ સર્વદશી હતા એટલે કે તેઓ સામાન્યરૂપે સમસ્ત પદાર્થોનાં દર્શનથી યુક્ત હતા. તેઓ કેવળજ્ઞાની હતા, તેઓ મૂળ For Private And Personal Use Only
SR No.020779
Book TitleSutrakritanga Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages729
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sutrakritang
File Size14 MB
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