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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सूत्रकृतास्त्रे मूलम्-'पुच्छिस्सु णं समणो माहणां य, अगारिणो यो परतित्थिया ये । से केइ णेगं तहियं धम्ममाहुँ, ___अंणेलिसं सौहु समिक्खयाए' ॥१॥ छाया-अपाक्षुः खलु श्रमणा ब्रह्मगाश्च, अगारिणो ये परतीथिकाश्च । स क एकान्तहितं धर्ममाह, अनीदृशं साधुसमीक्षया ।।१।। अन्वयार्थ -(समणा) श्रमणा यतयः (य) च पुनः (माहणा) ब्राह्मणाः (य) च पुनः (अगारिणो) अगारिणः क्षत्रियादयः, ये (परतिस्थिया य) परतीथिकाश्च शाक्यादयः (पुग्छिस्सु) अप्राक्षुः पृष्टवन्तः (से केद) सः कः (णेगंतहिय) एकान्त शब्दार्थ-समणा-श्रमणाः। श्रमण 'य माहणा-च ब्राह्मणाः 'य-च' और 'अगारिणो-अगारिणः । क्षत्रिय आदि 'परतिस्थिया य-परतीर्थिकाश्च' और परतीर्थिक शाक्यादिने 'पुच्छिस्सु-अप्राक्षुः। पूछा कि 'से केह-सः कः' वह कौन है ? जिसने 'णेगंतहियं-एकान्तहितम्' केवल हित रूप 'अणेलिसं-अनीदृशम्' अनुपम 'धम्म-धर्म' धर्म 'साहुसमिक्खयाए -साधुसमीक्षया' सम्यक् प्रकार से विचार कर 'आहु-आह' कहा है ॥१॥ ____ अन्वयार्थ-श्रमणों, ब्राह्मणों, गृहस्थों और शाक्य आदि परती. थिकों ने पूछा कि वह कौन है जिसने एकान्त हितकर और अनुपम धर्म को जो दुर्गति में गिरते हुए जीवों को धारण करता है-बचाता है और शुभ स्थान में धारण कराता अर्थात् पहुँचाता है-सम्यक् प्रकार से जान शमय-समण-श्रमणाः' श्रम 'य माहणा-च ब्रह्मणाः' मन माझा 'य-च' भने 'अगारिणो-अगारिणः' क्षत्रिय वगेरे ‘परतित्थिया य-परतीथिकाश्च' भने ५२तीय वि३ 'पुच्छिस्सु-अप्राक्षुः' ५७यु से केइ-सः क. ते है छे ? २0 ‘णेगंतहिय-एकान्तहितम्' पण ति३५ 'अणेलिसं-अनीशम्' अनुपम 'धम्म-धर्मम्' म 'साहु समीक्खयाए-साधु समीक्षया' सभ्यः प्रहारथी वियारीने 'आहु-आह' हे छे. ॥१॥ અન્વયાર્થ–પ્રમાણે, બ્રાહ્મણ, ગૃહ અને શાક્ય આદિ પરતીર્થિકોએ સુધર્મા સ્વામીને આ પ્રકારને પ્રશ્ન પૂછયે-દુર્ગતિમાં પડતાં જીવોને બચાધીને શુભસ્થાનમાં પહોંચાડનાર, એકાન્ત હિતકર અને અનુપમ ધર્મને સમ્યક પ્રકારે જાણીને તેની પ્રરૂપણ કરનાર તીર્થકર મહાવીર પ્રભુ કેવાં હતા?” For Private And Personal Use Only
SR No.020779
Book TitleSutrakritanga Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages729
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sutrakritang
File Size14 MB
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