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९-१२
सूत्रकृताङ्गसूत्र भा. दूसरे की विषयानुक्रमणिका अनुक्रमाङ्क विषय
तीसरा अध्ययन का पहला उद्देशा १ साधुको परीषह और उपसर्ग को सहन करनेका उपदेश २ संयम का रूक्षत्व का निरूपण ३ भिक्षापरीषह का निरूपण ४ वधपरीषह का निरूपण
१७-२६ ५ दंशमशकादि परीषदों का निरूपण
२७-२८ ६ केशलंबन के असहत्व का निरूपण
२९-३१ ७ परतीथिकों का पीडित करनेका निरूपण
३१-३७ ८ अध्ययन का उपसंहार
३७-३९ तीसरे अध्ययन का दूसरा उद्देशा ९ अनुकूल उपसर्गों का निरूपण
४०-८७ तीसरे अध्ययन का तीसरा उद्देशा १० उपसर्गजन्य तपासंयम विराधना का निरूपण ८८-१०६ ११ अन्यतीर्थिकों के द्वारा कहे जानेवाले
आक्षेपवचनों का निरूपण १०७-१११ १२ अन्यतीर्थिकों के द्वारा किये गये
आक्षेप वचनों का उत्तर १११-१२५ १३ बाद में पराजित हुए अन्यतीथिकों की
धृष्टता का प्रतिपादन १२५-१३० १४ वादिके साथ शास्त्रार्थ में समभाव रखने का उपदेश १३१-१३७
तीसरे अध्ययन का चतुर्थ उद्देशा १५ मार्ग.से स्खलित हुए साधु को उपदेश
१३८-१९९
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