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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - समयार्थबोधिनी टीका प्र. श्रु. अ. २ उ. २ स्वपुत्रेभ्यः भगवदादिनाथोपदेशः ६२१ तदुक्तः सामायिको धर्मः प्राणिभिः कदापि न पूर्व प्राप्त इत्येतदर्शयति सूत्रकारः ‘णहि शूण पुरा' इत्यादि । . मूलम् णहि गुण पुरा अणुस्सुयं अदुवा तं तह णो समुट्टियं । मुणिणा सामाय आहियं नारणं जगसव्वदंसिणो ॥३१॥ छायानहि नूनं पुराऽनुश्रुतमथवा तत्तथा नो समनुष्ठितम् । मुनिना सामायिकाद्याख्यातं ज्ञातेन जगत्सर्वदर्शिना ॥३१॥ अन्वयार्थ:(जगसबदसिणा) जगत्सर्वदर्शिना (नाएण) ज्ञातेन-ज्ञातपुत्रोण (मुणिणा) मुनिना (सामाय आहियं) यत् सामायिकम् सावद्यविरतिलक्षणम् आख्यातम् प्रकाशितम् तत् (णं) नूनं निश्चितम् (पुरा) पुरा पूर्वम् तीर्थकरोपदेशात्पूर्व तीर्थकरों का कहा हुआ सामायिक धर्म प्राणियों ने पहले कभी प्राप्त नहीं किया है, यह बात सूत्रकार दिखलाते हैं-"न हि गुण” इत्यादि । शब्दार्थ-'जगसव्वदंसिणा-जगत्सर्वदर्शिना' समस्त जगत् को देखने वाले 'नाएण-ज्ञातेन' ज्ञातपुत्र 'मुणिणा-मुनिना' मुनिने 'सामाइयं आहियंसामायिकम् आख्यातम्' सावधविरति लक्षण सामायिक कहा है वह 'गणंनूनम्' निश्चय से 'पुरा--पुरा' तीर्थकरके उपदेश से पहले 'ण हि अणुस्सुयं-नहि अनुश्रुतम्, जीवने नहीं सुना है 'अदुवा' अथवा' अगर सुना हो तो भी 'तं-तत्'उस सामायिक को 'तहा-तथा' तीर्थ करके कथनानुसार ‘णो समुष्टियं-नो समनुष्ठितम् उस प्रकार उसका अनुष्ठान नहीं किया है।।३१॥ તીર્થકરો દ્વારા પ્રતિપાદિત સામાયિક ધર્મની જેને પહેલાં કદી પ્રાપ્તિ થઈ नथी, मे पातने सूत्रार प्र४८ ४२ छ- “न हि गुण " त्यादि। Avt-'जगसम्पद सिणा-जगत्सर्वदर्शिना' समस्त ने नेवार 'नाएण-शातेन' शातपुत्र 'मुणिणा-मुनिना' भुनिये 'सामाइय-सामायिकम्' सावध विति सम सामाथि पणे३ ४ . त ‘णूण-नूनम्' निश्चयथा 'पुरा-पुरा' तीर्थ४२. अपहेश पाडया णहि अणुस्सुय-नहि अनुश्रुतम्' वे सामन्यु नथी 'अदुवा अथवा' 41 सान्युय ते५४ 'त-तत्' ते सामायने 'तहा-तथा' ती ४२ना ४थनतम् अनुसार 'णो समुढिय-नो समनुष्ठि ते मारे तेमनु मनुष्ठान४२स नथी.॥३१ For Private And Personal Use Only
SR No.020778
Book TitleSutrakritanga Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages709
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sutrakritang
File Size13 MB
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