________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरी चरिअं तेरहमो परिच्छेओ // 111 // *38*392E3%8246392* दइया नरवाहणस्स नरवइणो / तीए एसा धूया कन्ना सुरसुंदरी नाम // 136 / / युग्मम् / / वेयड्ढाओ पुत्विं आगच्छंती इमम्मि दीवम्मि। खिन्ना अवइन्ना हं कुसग्गपुरबाहिरुजाणे // 137 / / तत्थ य दिट्ठा एसा विजाए पयं तहिं च वीसरियं / पेडपन्नाए इमीए साहियमेताए उवलद्धं // 138|| तह चित्तपडे लिहियं रूवं दट्टण तुम्ह एयाए / आहूओ अणुराओ गरुओ उम्मायवडणओ॥१३९।। अविय / अइसुंदरोत्ति मुदियं दइओ होजत्ति खिज्जियं बहुहा / जइ ताव दंसणंपि हु होज केयत्थत्ति नीससिय // 140 // जइ ताव कावि हु अहं ताऽवस्सं तस्स संगमेण सुहं / कायव्यं भगिणीए इय भणिया अहं इह पत्ता / / 141 / / एमाइ जाव साहइ | पियंवया तीइ पुव्ववुत्तंतो। ताव विसवेगविगमाओ चेयणा तीइ उबलद्धा // 142 / / उबलद्धचेयणमहं सत्थसरीरं पियवयापासे / मोत्तूण गतो रिसहस्स पूंयओ विग्घजयहेउं // 143 // काउं जिणिंदपूयं विहिणा जिणवंदणं करेऊण / तह संतिदेवयाए मंतं जविऊण उवउत्तो॥१४४॥ तीए थुई पढित्ता उस्सग्गं करिय तह सउस्सासं। विजाहरवावायणविग्धस्स विघायणट्ठाए // 145 / / जाव य समागओ हं पुणरवि य पियंवयाइ पासम्मि / ताव य सोयवसागयवाहजलोहलियगंडयला // 146 // रूयमाणी सा दिट्ठा पुट्ठा य पियंवया मया ताहे / कीस इमा कमलच्छी रोयइ गुरुसोगतत्तव्य // 147 // चतसृभिः कलापकम् // तीए भणियं एईइ कारणे गरुयसतुसंरुद्धो। अच्छइ इमीइ जणओ तेण इमा रुयइ सोगेण // 148 // तत्तो य मए भणिया साहीणे किंकरम्मि एयम्मि / को तुह | पियरं सुंदरि! सकेइ पराभवेउं जे? // 149 / / युग्मम् // वसुनंदयखग्गकरो एगागी चेव तं दुरायारं / गंतुं हणामि सत्तुंजयारिमहमेव | किं बहुणा // 150 // एत्थेव पढमजिणवरभवणम्मि पियंवयासमेयाए / अच्छेयव्वं तुमए जहासुहं सोयरहियाए // 151 // जावा 1 पटुप्रज्ञया। 2 कृतार्थेति / 3 पूजकः / 4 उत्सर्ग=कायोत्सर्गम् / 5 शतोच्छ्वासम् / 6 तत्तप-तप्ता इव / // 11 // For Private and Personal Use Only